ग्रामसभा की बैठक में सदस्यों की सक्रिय भागीदारी ही पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ एवं ग्रामीण विकास को गति प्रदान कर सकती है। इसलिए ग्रामसभा के सभी सदस्यों को बैठक में हिस्सा लेना केवल उनका अधिकार ही नहीं परन्तु उनका परम कर्त्तव्य भी है। तो साथियों आप हमें बताएं कि — आप ग्राम सभा के बारे में कितना और क्या जानते हैं? क्या आपने कभी अपने गांव में ग्राम सभा की बैठक होते देखी है अगर हां तो अपना अनुभव साझा करें इन सवालों के जबाब देने के लिए अभी दबाएं अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन।

साथियों , ग्राम पंचायतों में विकास कार्य की जिम्मेदारी प्रधान और पंचों की होती है। इसके लिए हर पांच साल में ग्राम प्रधान का चुनाव होता है. क्योकि अगर पंचायत स्तर पर काम होगा तो देश आगे बढ़ेगा। दोस्तों, आप हमें बताएं कि क्या आपकी पंचायत में मुखिया या प्रधान द्वारा कौन कौन से कार्य किये जाते है ? या आपके गांव में प्रधान की तरफ से कौन—कौन से काम किए जा रहे हैं? क्या आप जानते हैं कि ग्राम प्रधान की जिम्मेदारी क्या होती है?साथही आप अपने किन कामों के लिए ग्राम प्रधान पर निर्भर हैं ? औरक्या ग्राम प्रधान की ओर से आपको सूचित किया गया है कि वे गांव के किन कामों के लिए उत्तरदायी हैं?

दोस्तों, ग्राम समितियों का गठन व उनको कार्यशील करना पंचायती राज की सफलता का एक महत्वपूर्ण बिन्दु है। ग्राम पंचायत में गाँव के विकास का काम सही से हो, यह किसकी जिम्मेदारी है . तो आप हमें बताएं कि ग्राम सभा के बारे में आप कितना और क्या जानते हैं ? क्या आपने कभी अपने गाँव में ग्राम सभा बैठक होते देखी है अगर हाँ तो अपना अनुभव साझा करें! साथ ही क्या आपको लगता है कि ग्रामीणों की ज्यादातर समस्याओं का समाधान ग्राम सभा से हो सकता है? इन सवालों के जबाब देने के लिए अभी दबाएं अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन।

साथियों , ग्राम पंचायत के विकास योजना में नागरिकों की जरूरतों और उनकी प्राथमिकताओं का उपलब्ध संसाधनों के साथ मेल खाना जरूरी है। आज की कड़ी में हमलोग जानेंगे कि भारत में तीनों स्तरों पर पंचायत की संरचना क्या है? और किस प्रकार से यह हमारे देश में संचालित हो रहा है ? आप हमें बताएं कि क्या आप अपनी पंचायत में होने वाले कार्यो के बारे में जानते है या उसकी योजना बनाते समय आपकी राय ली जाती है? साथ ही क्या आप अपनी परेशानी पंचायत के साथ साझा कर पाते है औ क्या आपकी बात वहां सुनी जाती है ? और आपके मुखिया में क्या क्या गुण होने चाहिए ?

पंचायतीराज के माध्यम से शासन में समाज के अंतिम व्यक्ति की भागीदारी सुनिश्चित होती है जिससे सुदूर ग्रामीण प्रदेशों के नागरिक भी लोकतंत्रात्मक संगठनों में रुचि लेते हैं। आज की कड़ी में हमलोग जानेंगे पंचायतीराज के 73वें संशोधन के बारे में. जिससे पंचायतो को पूर्ण शक्ति मिली. तो आप हमें बताएं कि क्या आप अपनी पंचायत में होने वाले कार्यो के बारे में जानते है या उसकी योजना बनाते समय आपकी राय ली जाती है? साथ ही क्या आप अपनी परेशानी पंचायत के साथ साझा कर पाते है औ क्या आपकी बात वहां सुनी जाती है ? और आपके मुखिया में क्या क्या गुण होने चाहिए ?

शौचालय का इस्तेमाल करने से आखिर हमारे समाज का विकास कैसे जुड़ा है ? और जमुनिआ शौचालय के इस्तेमाल करने से नया बिजनस कैसे शुरू कर सकीं। ये सब जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें

आखिर सातो के इस्तेमाल से महिलाएँ कैसे सुरक्षित हो सकती है ? जहाँ कम पानी है वहाँ सातो के क्या फायदे है ? आज सुरीली भाभी सभी गाँव वालों को क्या बताने वाली है ? इन सारी बातों को जानने के लिए अभी इस ऑडियो को क्लिक करें।

साथियों क्या आप जानते है कि जल संरक्षण से सम्बंधित काम जैसे तालाब,कुओं व नलकूप की खुदाई ,बरसात के पानी को जमा करना ये सब भी मनरेगा के तहत आता है? इसके अलावा सूखे की रोकथाम अंतर्गत वृक्षारोपण ,सरकारी भवनों,सार्वजनिक स्थानों ,स्कूल आदि में उद्यानों का निर्माण ,खेत के आसपास वृक्षारोपण ,बाढ़ नियंत्रण के तहत मेढ़ बनाना ,बांध निर्माण और आवास निर्माण आदि भी मनरेगा मज़दूरों के काम है। इसलिए आपके गांव या पंचायत में ऐसे कोई भी कार्य हो रहे है तो आप वहाँ अपने लिए रोज़गार की मांग कर सकते है। इसके लिए आपको अपने क्षेत्र में पंचायत कार्यालय जाकर पंजीयन करवाना होगा। मनरेगा के तहत पंचायत स्तर पर हर बुधवार को रोज़गार दिवस का आयोजन करना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं होता है ,तो मज़दूर साथी अपने सरपंच से रोज़गार दिवस आयोजन करने की मांग करें