पंचायतीराज के माध्यम से शासन में समाज के अंतिम व्यक्ति की भागीदारी सुनिश्चित होती है जिससे सुदूर ग्रामीण प्रदेशों के नागरिक भी लोकतंत्रात्मक संगठनों में रुचि लेते हैं। आज की कड़ी में हमलोग जानेंगे पंचायतीराज के 73वें संशोधन के बारे में. जिससे पंचायतो को पूर्ण शक्ति मिली. तो आप हमें बताएं कि क्या आप अपनी पंचायत में होने वाले कार्यो के बारे में जानते है या उसकी योजना बनाते समय आपकी राय ली जाती है? साथ ही क्या आप अपनी परेशानी पंचायत के साथ साझा कर पाते है औ क्या आपकी बात वहां सुनी जाती है ? और आपके मुखिया में क्या क्या गुण होने चाहिए ?