सा​थियों, परेशानी ये है कि कंपनियां मजदूरों को हवाई जहाज कि टिकिट देकर काम पर तो बुला चुकी हैं पर उनके टीकाकरण की व्यवस्था नहीं कर रहीं हैं. ऐसे में जो लोग अपने गांव से महानगर पहुंच चुके हैं वे बिना टीके के ही रोजगार तलाश रहे हैं और उन्हें काम नहीं मिल रहा है. कम वेतन दिया जाना, स्टॉफ की कटौती करना और नए रोजगार के अवसरों को अस्थाई रूप से बंद कर देने जैसी चुनौतियां अलग हैं. दोस्तों, हमें बताएं कि अगर आपको पहले की तरह काम नहीं मिल पा रहा है तो इसकी क्या वजह है? क्या कंपनी और कारखानों के संचालक ज्यादा नियुक्तियां नहीं करना चाहते? क्या वे पहले की अपेक्षा कम वेतन दे रहे हैं और क्या आपको कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है? क्या काम मांगने के लिए लिखित आवेदन देने के 15 दिन बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ? क्या मनरेगा अधिकारी बारिश या कोविड का बहाना करके काम देने या किए गए काम का भुगतान करने में आनाकानी कर रहे हैं? दोस्तों, अपनी बात हम तक पहुंचाएं ताकि हम उसे उन लोगों तक पहुंचा सकें जो आपकी समस्या का समाधान कर सकते हैं. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

साथियों, कोविड के बहाने सरकारी दफ्तरों में काम की रफतार धीमी है... कहीं राशन कार्ड नहीं बन रहे हैं तो कहीं पेंशन रोक दी गई है... हमें बताएं कि क्या आप भी राशन कार्ड, पेंशन योजना, जॉब कार्ड, मनरेगा में काम, परीक्षा देने के लिए, कंपनियों में नौकरी, पाने के लिए भटक रहे हैं? और क्या वहां कोविड काल का बहाना करके आपका काम नहीं किया जा रहा है? क्या कोविड वैक्सीन नहीं लगने के कारण आपको काम मिलने में दिक्कतें आ रहीं हैं? अगर आप सरकारी कार्यालय में अपना काम करवाने जा रहे हैं तो काम ना करने के क्या बहाने बताए जा रहे हैं? क्या कोविड के नाम पर अभी भी आपको राशन नहीं दिया जा रहा? क्या बैंक में आपका काम कोविड का बहाना देकर डाल दिया जा रहा है अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

दोस्तों, दिल्ली समेत देश के कई दूसरे राज्यों में लॉकडाउन की अवधि को बढ़ा दिया गया है. केन्द्र सरकार ने लॉकडाउन को आखिरी विकल्प के तौर पर रखा है पर राज्यों में कुछ छूट के साथ लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू लगाया जा रहा है. जाहिर सी बात है कि इससे जनता की भलाई होगी पर समाज का एक वर्ग वो भी है जो रोजाना काम करता है और दैनिक मजदूरी से पेट भरता है. लॉकडाउन के कारण उनका जीवन ज्यादा प्रभावित हो रहा है. जब हम ये मसला लेकर लोगों के बीच गए तो लॉकडाउन को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया मिली, आइए सुनते हैं..

तो साथियों , सुना आपने। पंचायतों में समितियों का कितना महत्व व आवश्यकता है। तो आप हमें बताएं कि - क्या आप अपनी पंचायत में होने वाले कार्यो के बारे में जानते है या उसकी योजना बनाते समय आपकी राय ली जाती है? - साथ ही अगर आपके गाँव में तालाब सिचाईं के लिए सुविधा नहीं है तो क्या आपने अपने ग्राम पंचायत से इसकी मांग की ? - और आपके मुखिया में क्या क्या गुण होने चाहिए ? और अगर मुखिया के चुनाव देरी होती है तो आपको कैसी परेशानी होगी ?क्या आप सरकारी बाबुओं के सामने अपनी बात खुल कर रख पाते है ? साथ ऐसा क्या करना चाहिए की पंचायत चुनाव सही समय पर हो ?

साथियों , मुखिया या प्रधान का पद बहुत ही महत्वपूर्ण और जिम्मेदारियों वाला है। यदि ग्राम पंचायत किसी गाँव के विकास के लिए रीढ़ की हड्डी है, तो मुखिया या प्रधान उस रीढ़ की हड्डी को अपने अच्छे कामों से मज़बूती देता है। तो दोस्तों, आप हमें बताएं कि क्या आपकी पंचायत में महिलाओ की भागीदारी पंचायत चुनाव में है ? साथ ही आपके हिसाब से पंचायत चुनाव में महिलाओं की भागीदारी क्यों होनी चाहिए? और क्या पंचायत चुनाव में महिलाओ की भागीदारी होने से समाज में कुछ फ़र्क़ पड़ेगा? इन सवालों के जबाब देने के लिए अभी दबाएं अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन।

देश में तमाम अस्थिरताओं के बाद भी चुनाव की प्रक्रिया जारी है. हाल ही में हमनें बिहार चुनाव देखे हैं. पश्चिम बंगाल में भी चुनाव की तैयारियां हैं पर इन सबमें खास है पंचायत चुनाव. जो बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में होने वाले हैं. पंचायत चुनाव इस बार इसलिए भी खास है क्योंकि कोरोना काल में बहुत से ग्रामीण वापिस अपने गांव पहुंचे हैं. उनके सामने राशन, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा और अधिकार के मसले हैं. इसलिए जनता अपने मुखिया का चुनाव बहुत सोच समझकर करना चाहती है. आगामी पंचायत चुनाव और मुखिया के लिए ग्रामीण जनता के क्या विचार हैं? आइए जानते हैं...

देश का आम बजट आ चुका है और हर बार की तरह इस बार भी आम आदमी को इस बजट में अपने लिए कुछ खास नजर नहीं आ रहा है. महंगाई अपनी जगह है, नौकरियां अब भी दूर की कौड़ी नजर आ रही हैं और खेती किसानी करने वालों के हाल क्या हैं...ये तो पूरी दुनिया देख रही है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर। 

आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है हमारे नए कार्यक्रम “मेरा मुखिया कैसा हो” में। जहाँ आप अपनी पंचायत से जुड़े मुद्दे और अपने अधिकार के बारे में और अधिक विस्तार से जान पाएंगे .ताकि जब आपके पंचायत का चुनाव आए तो आप सही उम्मीदवार का चयन कर सकें. साथियों , लोकतंत्र का सही अर्थ होता है सार्थक भागीदारी और उद्देश्यपूर्ण जवाबदेही . और इसी भागीदारी और जवाबदेही दोनों को सुनिश्चित करता है जीवंत एवं मज़बूत स्थानीय शासन . सही मायनों में स्थानीय सरकार का अर्थ है, स्थानीय लोगों द्वारा स्थानीय मामलों का प्रबंधन . तो आप हमें बताएं कि क्या आप पंचायत में होने वाले कार्यो के बारे में जानते है ? अपनी पंचायत में होने वाली समस्या के बारे में आपकी भूमिका क्या रहती है ? और स्थानीय शासन या ग्राम पंचायत आम नागरिको को कैसे फायदा पहुंचाता है.

कोरोना की वैक्सीन आ चुकी है, देश में टीकाकरण भी शुरू हो गया है. लॉकडाउन खत्म हुए काफी वक्त गुजर गया पर हालात अभी भी ठीक होते दिखाई नहीं दे रहे. खास तौर पर मजदूर और बेरोजगार युवाओं के लिए. जो लोग रोजी रोटी की तलाश में अपना गांव छोड़कर शहर आए थे उन्हें कोरोना काल में पैदल मीलों का सफर कर गांव जाना पड़ा. सरकार ने वायदा किया था कि उन्हें गांव में ही रोजगार के साधन उपलब्ध करवाए जाएंगे.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर। 

साथियों क्या आप जानते है कि जल संरक्षण से सम्बंधित काम जैसे तालाब,कुओं व नलकूप की खुदाई ,बरसात के पानी को जमा करना ये सब भी मनरेगा के तहत आता है? इसके अलावा सूखे की रोकथाम अंतर्गत वृक्षारोपण ,सरकारी भवनों,सार्वजनिक स्थानों ,स्कूल आदि में उद्यानों का निर्माण ,खेत के आसपास वृक्षारोपण ,बाढ़ नियंत्रण के तहत मेढ़ बनाना ,बांध निर्माण और आवास निर्माण आदि भी मनरेगा मज़दूरों के काम है। इसलिए आपके गांव या पंचायत में ऐसे कोई भी कार्य हो रहे है तो आप वहाँ अपने लिए रोज़गार की मांग कर सकते है। इसके लिए आपको अपने क्षेत्र में पंचायत कार्यालय जाकर पंजीयन करवाना होगा। मनरेगा के तहत पंचायत स्तर पर हर बुधवार को रोज़गार दिवस का आयोजन करना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं होता है ,तो मज़दूर साथी अपने सरपंच से रोज़गार दिवस आयोजन करने की मांग करें