कोरोना महामारी के बीच देश में लगातार बीमारी या वैक्सीन को लेकर अफवाहें उड़ती रहती हैं. वैक्सीन को लेकर कई बाद सोशल मीडिया पर कई तरह के भ्रामक मैसेज वायरल किए गए हैं. इन दिनों एक ऐसा ही ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

भारतीय नौकरीपेशा अब धीरे-धीरे दफ्तर जाकर काम करने लगे हैं और देश में खपत में तेजी लौटती दिख रही है. खर्च अब उन उत्पादों पर हो रहे हैं, जहां व्यक्ति सोच-विचार कर व्यय करता है. वैश्विक परामर्श कंपनी डेलॉयट ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

भारत में कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के प्रदर्शन के बीच संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों की एक ताजा रिपोर्ट दर्शा रही है कि भारत ऐसा अजीब देश है, जिसकी सरकार बाकी देशों की सरकारों की तरह अपने किसानों को प्रोत्सााहित करने की बजाय उन्हें दंडित कर रही है. विश्व खाद्य सम्मेलन से पहले संयुक्त राष्ट्र की तीन एजेंसियों, खाद्य एवं कृषि संगठन, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने ‘ए मल्टी बिलियन डॉलर\ ऑपर्च्यूनिटी’ नाम की रिपोर्ट जारी की. इसमें खेती में सुधार के लिए पूरी दुनिया में एक सहयोगी तंत्र विकसित करने की मांग की गई है. विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

सरकार किसानों के नाम पर सब कर रही है बस जिस किसान बिल का विरोध बीते एक साल से हो रहा है उसे वापिस लेने को तैयार नहीं. अब सरकार ने किसानों के लिए 12 अंकों के पहचान पत्र की एक नई योजना बनाई है. यह कुछ आधार कार्ड की तरह होगा और इसका उपयोग केवल किसान कर पाएंगे। इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बारहवीं कक्षा के छात्रों द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें केंद्र और राज्यों को स्कूलों को फिर से खोलने और आफलाइन क्लास के संचालन के संबंध में ,समयबद्ध निर्णय लेने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह राज्यों को शारीरिक शिक्षण के लिए स्कूलों को फिर से खोलने का निर्देश नहीं दे सकती है।सरकारों ने स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से फिर से खोलने का फैसला लिया है और ये ऐसी योजनाएं हैं जिन्हें सरकार पर छोड़ देना चाहिए।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

भारत में तेज रफ्तार से जारी टीकाकरण ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। देशभर में एक बार फिर से कोरोना के नए केस 30 हजार पार रहे हैं। हालांकि, राहत की सबसे बड़ी बात यह है कि भारत में कोरोना के एक्टिव केस तेजी से घट रहे हैं और अब यह कुल मामलों का सिर्फ 0.95 फीसदी ही रह गया है, जो कि मार्च 2020 के बाद से अब तक का सबसे निचला स्तर है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

सोशल मीडिया प्लैटफार्म पर आजकल फेक न्यूज की बाढ़ आ गई है. मोदी सरकार की योजनाओं के नाम पर आजकल फ्री रिचार्ज से लेकर बेरोजगारी भत्ता तक मिलने की खबर वायरल हो रही है. अब इन दिनों एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है प्रधानमंत्री रामबाण सुरक्षा योजना के तहत कोरोनावायरस के फ्री इलाज के साथ- साथ सभी युवाओं को केंद्र सरकार 4000 रुपये की सहायता दे रही है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

भारत में 2020 में 19 महानगरों में से बलात्कार के करीब 40 प्रतिशत मामले और हत्या के तकरीबन 25 प्रतिशत मामले अकेले दिल्ली में सामने आए. सरकार के ताजा आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, देश में पिछले साल कोविड-19 महामारी फैलने और लॉकडाउन लगे होने के बावजूद हत्या के 1,849 और बलात्कार के 2,533 मामले दर्ज किए गए.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

12 सितम्बर, 2021 को महिला आरक्षण विधेयक को 25 साल हो गए हैं. 1996 में इसी तारीख को एचडी देवगौड़ा की सरकार ने इस विधेयक को संसद के पटल पर रखा था. यह था 81वां संविधान संशोधन विधेयक और इसके माध्यम से लोकसभा और विधान सभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था. आज करीब 13 लाख महिला प्रतिनिधि पंचायतों और शहरों के स्थानीय निकायों में चुनकर आई हैं, और यह अपने आप में महिला सशक्तिकरण की दिशा में क्रांतिकारी कदम है. विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के 77वें दौर के ‘परिवारों की भूमि व पशुधन संपत्ति और खेती पर निर्भर परिवारों की स्थिति का आकलन’ नामक सर्वेक्षण में पाया गया कि ज्यादातर भारतीय किसान अपनी फसल स्थानीय बाजारों में बेचते है.सरकारी एजेंसियों और कृषि उत्पाद बाजार समिति यानी एपीएमसी में तुलनात्मक तौर पर वे अपनी फसलों का काफी कम हिस्सा बेचते हैं. किसान धान, गेंहू और अरहर दाल समेत सर्वे में शामिल 18 प्रकार की फसलों का 55 से 93 फीसद स्थानीय बाजारों में बेचते हैं.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।