2020-21 में कोविड प्रतिबंधों के बीच दालों की आपूर्ति में बाधित होने और लॉकडाउन के दौरान परिवारों के जरिए दालों की स्टॉकिंग किए जाने के कारण दालें महंगी हो गई थीं. यह कहते हुए सरकार ने दाल की कमी पर अपना रुख स्पष्ट कर गरीब परिवारों पर आरोप मढ दिया है. केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी को संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 पेश की। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

कोविड-19 महामारी ने न केवल छात्रों की पढ़ाई को बाधित किया बल्कि बहुत से छात्रों ने निजी स्कूलों में पढ़ाई बंद कर दी. साथ ही बड़ी संख्या में बच्चों का स्कूलों में नामांकन भी नहीं हुआ. आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार, शिक्षा प्रणाली पर महामारी का व्यापक प्रभाव पड़ा है। पूरी खबर सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

कोरोना से बचाव के लिए मास्क (Mask) बेहद जरूरी है, मास्क नहीं पहनने पर जुर्माने का भी प्रावधान है, ताकि लोग सतर्क रहें और मास्क पहनकर ही घर से बाहर निकलें. लेकिन इस बीच डिस्पोजेबल मास्क को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं.  एक वीडियो में फर्जी दावा किया जा रहा है कि डिस्पोजेबल सर्जिकल मास्क में कीड़े होते हैं। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

भारत में केवल 1 फ़ीसदी आबादी की महीने की कमाई 50 हजार रुपये से अधिक की है. ऐसे में भारत में स्वयं का उद्योग शुरू कर पाना काफी मुश्किल है. युवाओं के सामने सरकारी नौकरी एक अच्छा विकल्प हो सकती है लेकिन खाली पदों पर भर्ती ना होना या फिर नियुक्ति के पत्र योग्य युवाओं तक ना पहुंचना इस बात का प्रमाण है कि सरकार सरकारी नौकरियां देने के संबंध में गंभीर नहीं है। इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

सीबीएसई 12वीं टर्म 1 बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट को लेकर सोशल मीडिया पर एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है. इस मैसेज में कहा गया है कि 25 जनवरी 2022 को सीबीएसई 12वीं टर्म 1 बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट जारी किया जाएगा.सरकारी न्यूज एजेंसी प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो ने जब इस खबर की पड़ताल की तो पता चला की यह मैसेज फर्जी है। इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कोविड-19 से मरने वाले सभी व्यक्तियों के परिजनों को 50,000 रुपये का मुआवजा देने का वादा किया था. राठौड़ इस मुआवजे की पात्र हो सकती थीं. इसके पात्र लोगों में वे सब शामिल थे, जिनकी मृत्यु टेस्ट में कोविड पॉजिटिव आने या क्लीनिकल तौर पर नोवेल कोरोना वायरस की पुष्टि होने के 30 दिनों के भीतर हो गई थी. हालांकि, राज्य सरकार ने प्रमाण-पत्र दिलाने के लिए हर जिले में शिकायत निपटारा समितियों का गठन किया है, लेकिन सिंह के परिवार को इसकी प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

आर्थिक उदारीकरण के बाद पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि देश के सबसे गरीब 20 फीसदी भारतीय परिवारों की वार्षिक आय में बीते पांच सालों में 53 फीसदी की गिरावट आई है. र्ष 2020-2021 में गरीब लोगों की आय 2015- 2016 की तुलना में 53 फीसदी कम हो गई है. यह आय 1995 के बाद से लगातार बढ़ रही थी. इस समान अवधि में देश के सबसे अमीर 20 फीसदी लोगों की वार्षिक आय में 39 फीसदी का इजाफा हुआ है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

देश के बड़े शहरों में कचरा बीनने वालों के पास पांच फीसदी से भी कम स्वास्थ्य बीमा है, जबकि 79 प्रतिशत सफाई साथियों के जनधन खाते नहीं हैं. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की ओर से 25 जनवरी 2022 को कचरा बीनने वालों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का बेसलाइन विश्लेषण जारी किया गया. दावा किया गया है कि यह अब तक का सबसे बड़ा असेसमेंट है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने 17 जनवरी को असमानता पर अपनी 2022 की रिपोर्ट जारी कर दी है. इस रिपोर्ट में संगठन ने दुनियाभर की सरकारों की असमानता को अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ने देने के लिए आलोचना की है. रिपोर्ट का दावा है कि दुनिया ने अरबपतियों की संपदा में अभूतपूर्व वृद्धि को देखा। जब से कोविड-19 चालू हुआ है, तबसे हर 26 घंटे में एक अरबपति पैदा होता है. रिपोर्ट में खोजे गए तथ्यों के मुताबिक़, दुनिया के 10 सबसे अमीर पुरुषों ने उस दौरा में अपनी संपत्ति दोगुनी कर ली, जब मार्च, 2020 से नवंबर, 2021 के बीच, दुनिया के कम से कम 16 करोड़ लोग गरीबी में धकेल दिए गए. वहीं दूसरी ओर इसी अवधि में दुनिया की 99 फ़ीसदी आबादी की आय कम हुई है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

कोविड-19 महामारी के चलते दुनिया भर में जिस तरह से पूर्ण या आंशिक रुप से स्कूल बंद करने पड़े हैं उससे दुनिया भर में करीब 63.5 करोड़ बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है. यह जानकारी हाल यूनिसेफ द्वारा साझा नवीनतम आंकड़ों में सामने आई है. वैश्विक स्तर पर शिक्षा में आए व्यवधान का मतलब है कि लाखों बच्चे उस स्कूली शिक्षा से वंचित रह गए थे, जो उन्हें कक्षा में होने पर मिलती. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा छोटे और कमजोर वर्ग से सम्बन्ध रखने वाले बच्चों को सबसे ज्यादा हुआ है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।