देश भर में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच सोशल मीडिया पर इसका इलाज/उपचार होने का दावा करने वाले विभिन्न पोस्ट वायरल हो रहे हैं. ऐसी ही एक और पोस्ट इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. जिसमें दावा किया गया है कि इस बार कोरोनावायरस की लहर पहली दो लहरों से अलग है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
मध्य प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने घरेलू हिंसा के कारण विकलांग हुईं महिलाओं को वित्तीय सहायता देने के राज्य की भाजपा सरकार के निर्णय की आलोचना करते हुए कहा कि यह अव्यावहारिक और पीड़ितों के ‘जख्मों पर नमक लगाने’ जैसा है. मंत्री परिषद ने 18 जनवरी को घरेलू हिंसा के कारण विकलांग हुईं महिलाओं को आर्थिक सहायता देने की एक योजना को मंजूरी दी है. ओझा ने एक बयान में इस निर्णय को एक नया जुमला बताते हुए कहा, प्रदेश का खजाना खाली होने के बावजूद लिया गया यह फैसला न केवल पूरी तरह अव्यावहारिक है, बल्कि पीड़ितों के जख्मों पर नमक लगाने जैसा है .विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
दुनियाभर में कोरोना संक्रमण को अब लगभग डेढ़ साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. वायरस के म्यूटेशन के साथ आई दूसरी लहर का कई देशों पर गंभीर असर देखने को मिला. भारत के संदर्भ में बात करें कोरोना की दूसरी लहर अब लगभग धीमी पड़ चुकी है. कई रिपोर्टस में दावा किया जाता रहा है कि जून-जुलाई के महीने में जब देश में तापमान काफी अधिक हो जाता है तब इस वायरस का असर कम हो सकता है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
भारत में अब तक 158 करोड़ लोगों को टीका लग चुका है. जिसमें पहला, दूसरा और ऐहतियाती टीका शामिल हैं, लेकिन इस बीच शीर्ष महानगरों में टीकाकरण के मामले में पुरुषों और महिलाओं की संख्या के बीच एक बड़ी खाई देखी गई है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 18 जनवरी तक मुंबई में 1.10 करोड़ पुरुषों को टीके लगे, इसके मुकाबले महिलाओं की संख्या 76.98 लाख रही. यानी कि प्रति एक हजार पुरुषों पर 694 महिलाओं का टीकाकरण हुआ. जो इस शहर के लिंगानुपात (832) से बहुत कम है. ऐसा ही अंतर दिल्ली में भी देखा गया.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
भारत सरकार ने कहा है कि किसी को कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट को दिए एक हलफनामे में केंद्र सरकार ने बताया है कि टीकाकरण को लेकर जारी उसके दिशा-निर्देश बिना किसी व्यक्ति की असहमति के उसे टीका लगाने को नहीं कहते. विकलांगों को टीकाकरण का सबूत दिखाने से छूट देने के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि ऐसी कोई मानक प्रक्रिया नहीं है जिसके तहत कोविड वैक्सीन के सर्टिफिकेट को दिखाना अनिवार्य होगा.इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
महामारी के दौरान बेरोजगारी का जो दौर आया था उसे गुजरने में अभी और वक्त लगेगा. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार 2022 के दौरान दुनिया भर में बेरोजगार लोगों की संख्या 20.7 करोड़ रहने का अनुमान है. गौरतलब है कि 2019 में यह आंकड़ा 18.6 करोड़ था. इसका मतलब है कि इस दौरान बेरोजगार लोगों की संख्या में 11 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है, जोकि 2.1 करोड़ है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर का कहर जारी है. वैज्ञानिकों ने साफ कर दिया है कि कोरोना से बचने के लिए वैक्सीनेशन से अच्छा उपाय कोई नहीं है. पहले तो 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही थी, लेकिन इस महीने से 15 से 18 आयुवर्ग के लिए भी वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू हो गया। इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि एक अप्रैल, 2020 से अब तक कुल 1,47,492 बच्चों ने कोविड-19 और अन्य कारणों से अपने माता या पिता में से किसी एक या दोनों को खो दिया है.कोविड-19 महामारी के दौरान माता-पिता को खो चुके बच्चों की देखभाल और सुरक्षा को लेकर स्वत: संज्ञान वाले मामले में एनसीपीसीआर ने कहा कि इसके आंकड़े राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपने ‘बाल स्वराज पोर्टल- कोविड केयर’ पर 11 जनवरी तक अपलोड किए गए आंकड़ों पर आधारित हैं.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा ऐसा कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया है, जो किसी व्यक्ति की बिना उसकी सहमति के टीकाकरण करने की बात करता हो या किसी भी प्रयोजन में टीकाकरण के प्रमाण-पत्र को अनिवार्य बनाते हों। इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
देश में कोरोना महामारी ने पहले से ही बदहाल आय असमानता को बदतर कर दिया है. ऑक्सफैम की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि साल 2021 में भारत के 84 फीसदी परिवारों की आय घटी है, पर इसी समान अवधि में देश में अरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑक्सफैम की रिपोर्ट ‘इनइक्वैलिटी किल्स’ वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दावोस एजेंडा से पहले रविवार को जारी की गई.