सरकार सरकारी स्कूलों को संवारने और सुविधायुक्त बनाने के चाहे जितने वायदे कर ले, लेकिन हकीकत यह है कि देश के 38 हजार स्कूल ऐसे हैं जहां टॉयलेट की सुविधा तक नहीं है. इस बात का खुलासा लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में हुआ है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से पेश 2016-17 के आंकड़ों के अनुसार 43 हजार स्कूलों में पेयजल सुविधा नहीं है. देश में जिन 37956 स्कूलों में बालिकाओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है, उनमें असम में सबसे अधिक 11839 स्कूल शामिल हैं. पेयजल सुविधा विहीन स्कूलों में आंध्र प्रदेश के 3177, बिहार के 4270, जम्मू-कश्मीर के 2158, मध्य प्रदेश के 5529, झारखंड के 1840, मेघालय के 5208, राजस्थान के 2627, उत्तर प्रदेश के 3368 और पश्चिम बंगाल के 1520 स्कूल शामिल हैं.

गुटखा और पान मसालों के पैकेट पर सरकार कैंसर की चेतावनी लिखकर खानापूर्ति कर रही है और देश में लगातार ऐसे लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है जो तंबाखू का सेवन करते हैं. ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वेक्षण, 2017 के अनुसार 10.7 प्रतिशत वयस्क भारतीय धूम्रपान करते हैं, जबकि चबाने वाले तंबाकू का सेवन 21.4 प्रतिशत लोग करते हैं. इनमें 29.6 प्रतिशत पुरुष और 12.8 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल मध्यप्रदेश में तंबाकू जनित बीमारियों से हर साल 90 हजार लोग काल के गाल में समा जाते हैं. यह समस्या आने वाले सालों में और गंभीर न हो इसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है.

यदि आपके क्षेत्र में गंदगी जमा हो रही है या कचरे के ढेर पर मच्छर मंडराने लगे हैं तो तत्काल ही इसके निस्तारण की व्यवस्था करें. क्योंकि यह गंदगी स्वाइन फ्लू फैलने का कारण बन सकती है. स्वाइन फ्लू का कहर इन दिनों के देश के कई हिस्सों में देखा जा रहा है. अब तक इससे 226 लोगों की मौत हो चुकी है और 6 हजार से ज्यादा लोग अब भी बीमार हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से इस रोग का समय रहते पता लगाने के लिए अपनी निगरानी बढ़ाने और अस्पतालों में बेड की व्यवस्था रखने को कहा है. पिछले साल देश में स्वाइन फ्लू के 14,992 मामले दर्ज किए गए थे और इस रोग से 1103 मौतें हुई थी.

टेक्नोलॉजी एक तरह से पढाई में मददगार है लेकिन यही इसका सही इस्तेमाल न किया जाए तो यह बच्चों के मानसिक विकास में मुश्किलें पैदा कर सकती है. इन दिनों बच्चों के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है. मोबाइल पर पबजी गेम खेलने से बच्चों का ध्यान पढाई से भटक रहा है. बच्चों में गेम का इतना क्रेज है कि वे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. इस खेल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से लेकर प्रधानमंत्री तक बोल चुके हैं, लेकिन बच्चों में इसका खास असर नहीं दिख रहा है. अब मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के अध्ययन में सामने आया है कि यह गेम खेलने वाले 90 फीसदी बच्चों ने स्कूल जाना ही बंद कर दिया. बचे हुए दस फीसदी शेड्यूल टाइमिंग में तो पढ़ते हैं लेकिन बाकी समय मोबाइल पर लगे रहते हैं. बच्चों के परिजनों को सलाह दी जा रही है कि वे ध्यान रखें कि उनके बच्चे ज्यादा देर मोबाइल का इस्तेमाल न करें.

नेपाल में माहवारी के दौरान महिला को अस्पृष्य मानते हुए घर से बाहर एक बिना खिड़की वाली झोपड़ी में रहने को मजबूर किया जाता है. इसी कुप्रथा का पालन कर रही 21 वर्षीय एक युवती की झोपडी में दम घुटने से मौत हो गई है. दूरस्थ धोती जिले में पार्वती बोगाती अलग थलग एक झोपड़ी में अकेले सो रही थी. झोपड़ी को गर्म रखने के लिए उसने आग जला रखी थी. रात को झोपड़ी में धुंआ भर गया और दम घुटने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई. जिस कुप्रथा के कारण युवती की मौत हुई है उसे नेपाल सरकार ने पहले ही बैन कर दिया है लेकिन अब भी सामाजिक स्तर पर लोगों में जागरूकता का आभाव है और वे इस प्रथा को जारी रखें हुए हैं.

सरकार चाहे जितने भी बखान कर ले, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी देश के कई ऐसे गांव और कस्बे हैं जहां लोग घर में शौचालय बनवाना नहीं चाहते. ऐसी ही सोच वाले परिवार से संबंध रखने वाली राजस्थान के सवाईमाधोपुर के गांव कुंडेरा की एक महिला पर बाघ ने हमला कर दिया, जिसमें उसकी मौत हो गई. महिला के घर में शौचालय नहीं था और वह सुबह गांव से बाहर जंगलों में शौच के लिए गई थी. तभी वहां बाघ आ पहुंचा. इसके पहले कि महिला खुद को सम्हाल पाती, बाघ ने उस पर हमला कर मार डाला. इसके बाद बाघ ने महिला के शव के तीन टुकडे कर दिए. शौच के लिए जंगल जाने वाली महिलाओं के साथ होने वाले ये हादसे अब आम होते जा रहे हैं, लेकिन गांव में शौचालय बनवाने की पहल नहीं हुई है.

मेघालय के जयंतिया हिल्स जिले की अवैध कोयला खदान में फंसे 15 मजदूरों को बचाने के लिए दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने टाल दी है. जस्टिस एके सिकरी ने सोमवार को कहा कि कोयला खदान में फंसे मजदूरों के जिंदा बचने के आसार नहीं हैं. ये मजदूर एक माह से ज्यादा समय से खदान में फंसे हुए हैं. 370 फीट गहरी इस खदान में 70 फीट तक पानी भरा है. जहां नौसेना बचाव कार्य जारी रखे हुए है. अब तक दो मजदूरों के शव निकाले जा चुके हैं लेकिन बाकियों की तलाश पूरी नहीं हो पा रही है.

सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि किसी तरह भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाई जा सके लेकिन भ्रामक विज्ञापनों के जाल में फंसने वाले लोगों की तादाद दिन पर दिन बढती जा रही है. बीते चार साल में भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सरकार को मिली शिकायतों में 15 गुणा इजाफा हुआ है. उपभोक्ता मंत्रालय के अनुसार, पिछले चार साल में भ्रामक विज्ञापनों की शिकायत के लिए बनाए गए ग्रीवेंस अगेंस्ट मिसलीडिंग एड्वर्टाइजमेंट पोर्टल पर 9,658 शिकायतें दर्ज की गई हैं.आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी विभाग से संबंधित मामले सबसे ज्यादा हैं. सूचना प्रसारण मंत्रालय ने सभी प्रसारणकर्ताओं को सलाह दी है कि वे ऐसे संदेशों का प्रसारण नहीं करें, जिनसे दर्शक भ्रामक और आपत्तिजनक विज्ञापनों की शिकायत करने के लिए प्रेरित हो.

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बांग्लादेश के नारायणपुर में ढाका-चटोग्राम राजमार्ग पर कोयला ले जा रहा ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया. जिसके कारण सडक के किनारे खेत में चल रहे ईंट भट्ठे में काम करने वाले 13 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई. दरअसल ट्रक तेज रफतार से आ रहा था और अचानक उसकी गति अनियंत्रित हो गई. जिसके कारण वह मुख्य सडक से उतर कर खेत में चल रहे ईंट भट्ठे से टकरा गया. जिससे वहां काम करने वाले 13 मजदूरों की मौत हो गई.