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चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस के कारण फैले निमोनिया से शनिवार को पहली मौत हुई। इसकी जानकारी शहर के स्वास्थ्य विभाग ने दी है। इस नए प्रकार के वायरस के संक्रमण के 41 मामले सामने आए हैं। दो लोगों को पहले ही अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा चुका है। सात लोगों की हालत गंभीर हैं और एक की मौत हो गई है। अन्य लोगों की हालत स्थिर बनी हुई है।रोगियों के साथ संपर्क रहने के कारण 419 डॉक्टरों सहित लगभग 740 लोगों को चिकित्सा निगरानी में रखा गया है। वुहान में स्थानीय अधिकारियों ने पुष्टि की है कि शहर रहस्यमय ढंग से फैले निमोनिया से जूझ रहा है। इस सप्ताह की शुरुआत में चीनी मीडिया ने बताया था कि यह बीमारी एक नए प्रकार के कोरोना वायरस के कारण फैली थी। श्रोताओं ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिये जुड़े रहे मोबाइल वाणी से और अगर यह खबर पसन्द आई तो लाईक का बटन जरूर दबाये
बुधवार को श्रमिक व किसान संगठनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इससे बैंकिंग, परिवहन और अन्य जरूरी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। करीब 25 करोड़ लोगों के हड़ताल पर रहने की संभावना है। हड़ताल का आह्वान सरकार की 'जन विरोधी' नीतियों के विरोध में किया गया है। पिछले साल सितंबर में 8 जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। कई बैंकों ने भी बुधवार को हड़ताल और बैंकिंग सेवाओं पर इसके असर के बारे में स्टॉक एक्सचेंजों को सूचना दे दी है। किसानों का देशव्यापी ग्रामीण भारत बंद देश के 228 संगठनों ने बुधवार को ग्रामीण भारत बंद का आह्वान किया है। बंद के दौरान किसान खेती--किसानी का कोई काम नहीं करेंगे। सब्जी, दूध, अंडा, मछली जैसा अपना कृषि उत्पाद नहीं बेचेंगे। न ही कोई सामान खरीदेंगे। कृषि उपज मंडियों को बंद रखा जाएगा। जगह--जगह रास्ता रोको आंदोलन और धरना--प्रदर्शन और रैली निकाली जाएगी।इधर केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों से कहा है कि अगर वे आठ जनवरी को हड़ताल में शामिल होते हैं तो उन्हें इसका ‘नतीजा’ भुगतना पड़ेगा। कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कर्मचारियों को यह चेतावनी देते हुये हड़ताल से दूर रहने को कहा गया है। इसमें वेतन काटने के अलावा उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है। श्रोताओं आज किया गया है भारत बंद का ऐलान देखना यह है कि इस बन्द का असर कहाँ-कहाँ नजर आता है।आपके अनुसार क्या ऐसे आंदोलनों से कोई बदलाव होगा या यह सिर्फ समय की बर्बादी है।क्या सरकार को जनता की समस्याओं को समझने और उसका समाधान निकालने के लिये कोई विकल्प नहीं ढूँढना चाहिए जिससे देश की पूरी जनता ऐसे आंदोलनों से प्रभावित ना हो।बन्द के दौरान कैसा रहा आपके क्षेत्र का हाल आप हमें जरूर बतायें अपने फोन में नंबर 3 दबा कर।अगर यह खबर पसंद आई तो लाईक का बटन जरूर दबायें।
ईरान के तेहरान में यूक्रेन का एक विमान हादसे का शिकार हो गया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, यूक्रेन के विमान बोइंग-737 में क्रू मेंबर्स समेत कुल 180 लोग सवार थे।सभी यात्रियों की तलाश जारी है। ये हादसा सुबह 9 बजे राजधानी तेहरान स्थित इमाम खुमैनी एयरपोर्ट के पास हुआ।इस विमान ने तेहरान से उड़ान भरी थी और कीएफ जा रहा था।कीएफ यूक्रेन की राजधानी है।7900 फीट की ऊंचाई पर ये विमान क्रैश हो गया। टेकऑफ के बाद ही बोइंग 737 में तकनीकी खराबी आ गई, जिसके कुछ देर बाद ही ये क्रैश हो गया।फिलहाल, राहत और बचाव कार्य शुरू हो गया है। इतना बड़ा हादसा बहुत बड़ी लापरवाही को दर्शाता है आखिर कैसे टेकऑफ होते ही विमान में खराबी आई । क्या उड़ान के पहले विमान की जाँच नहीं की गई थी,अगर की गई थी फिर ये हादसा कैसे हुआ। और इस हादसे का जिम्मेदार किसे समझा जाये।श्रोताओं इस विषय पर आपकी क्या राय है हमारे साथ बाँटे अपने फोन में नम्बर 3 दबा कर और अगर यह खबर पसंद आई तो लाईक का बटन जरूर दबायें।
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.न्यूयॉर्क टाइम्स अख़बार के अनुसार व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने कहा कि जवाबी सैन्य कार्रवाई की योजना थी. सैन्य कार्रवाई की योजना शुरुआती चरण में थी लेकिन बाद में ट्रंप ने मन बदल लिया. क्या है पूरा मामला आप को बता दे कि गुरुवार सुबह ईरान की इस्लामिक रिवॉल्युशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) ने घोषणा की कि उसने अमरीका के एक जासूसी ड्रोन को मार गिराया है. ..ईरान का कहना है कि अमरीका के एक मानवरहित विमान ने ईरानी हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया था. वही अमरीकी सेना के सेंट्रल कमांड ने भी ड्रोन गिराए जाने की पुष्टि करते हुए कहा था ईरान ने ज़मीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल से अमरीकी नेवी बोर्ड एरिया मैरीटाइम सर्विलांस (बीएएमएस-डी) को मार गिराया. हालांकि अमरीकी सेना का कहना है कि ड्रोन अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में था न कि ईरानी हवाई क्षेत्र में. इसकी प्रतिक्रिया में अमरीकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफ़एए) ने एक आपातकालीन आदेश जारी कर कहा था कि अमरीकी एयरलाइंस तेहरान के नियंत्रण वाले हवाई क्षेत्र के क़रीब से नहीं जाएं. अमरीकी सेना ने इसे 'बिना किसी कारण का हमला' बताया. अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया कि 'ईरान ने बहुत बड़ी ग़लती की है.' एनवाईटी का कहना है कि अमरीका के समय के अनुसार शाम में सात बजे तक अमरीकी सेना और राजनयिक अधिकारी उम्मीद कर रहे थे कि जवाबी कार्रवाई होगी. यहां तक कि ईरानी रेडार और मिसाइल बैटरी की भी तैनाती थी. .क्या है पूरा मामला गुरुवार सुबह ईरान की इस्लामिक रिवॉल्युशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) ने घोषणा की कि उसने अमरीका के एक जासूसी ड्रोन को मार गिराया है. ईरान का कहना है कि अमरीका के एक मानवरहित विमान ने ईरानी हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया था. अमरीकी सेना के सेंट्रल कमांड ने भी ड्रोन गिराए जाने की पुष्टि करते हुए कहा था ईरान ने ज़मीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल से अमरीकी नेवी बोर्ड एरिया मैरीटाइम सर्विलांस (बीएएमएस-डी) को मार गिराया. हालांकि अमरीकी सेना का कहना है कि ड्रोन अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में था न कि ईरानी हवाई क्षेत्र में. इसकी प्रतिक्रिया में अमरीकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफ़एए) ने एक आपातकालीन आदेश जारी कर कहा था कि अमरीकी एयरलाइंस तेहरान के नियंत्रण वाले हवाई क्षेत्र के क़रीब से नहीं जाएं. अमरीकी सेना ने इसे 'बिना किसी कारण का हमला' बताया. अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया कि 'ईरान ने बहुत बड़ी ग़लती की है.' श्रोता रखे अपनी विचार क्या अमेरिका -इरान के बिच होने वाला है जंग, अगर जंग होता है तो कौन पड़ंगा किस पर भारी, आपनी राय बताय
जलवायु परिवर्तन हमारे जीवन पर क्या प्रभाव डाल रहा है और आने वाले समय में क्या होगा..? वैज्ञानिक लगातार इस पर अध्ययन कर रहे हैं। अब एक नए अध्ययन में चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं। दावा किया गया है कि बहुत तेजी से हो रहा जलवायु परिवर्तन भविष्य में कई देशों में सशस्त्र संघर्ष का खतरा बढ़ा रहा है। इसके कारण भविष्य में हिंसा बढ़ेगी। नेचर जर्नल में प्रकाशित हुए अध्ययन में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन ने पिछली सदी से लेकर अब तक संघर्ष के जोखिम को तीन से 20 प्रतिशत तक बढ़ाया है। यह जोखिम आगे आने वाले समय में और भी बढ़ सकता है। अध्ययन में बताया गया कि अगर तापमान में चार डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है तो लोगों के बीच होने वाले संघर्ष पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पांच गुना ज्यादा पड़ेगा। संघर्षों के जोखिम में 26 फीसद तक की वृद्धि होने की संभावना है।अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की कथरीन मंच ने बताया कि जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए हमें लगातार हो रहे उत्सर्जनों को कम करने की जरूरत है, यह तभी संभव होगा जब हमें अपनी जिम्मेदारी का अहसास हो और एक दूसरे के सहयोग से काम करने की भावना हो। जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है पर लोग अभी जागरूक नहीं हो रहे हैं। जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम में होने वाला चरम बदलाव और उससे उत्पन्न हुई आपदाएं भविष्य में अर्थव्यवस्थाओं, खेती, पशुधन को नुकसान पहुँचाएगी। जिससे की सामाजिक समूहों के बीच असमानता बढ़ेगी। यह कारक जब संघर्ष के अन्य कारकों से मिलेंगे तो हिंसा का रूप ले लेता हैं। यह बात सही है कि इस सदी में जलवायु परिवर्तन का अभूतपूर्व असर पड़ने वाला है। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन से अभी तक जितने भी प्रभाव सामने आए हैं भविष्य में होने वाले प्रभाव उनसे अलग होंगे। जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान के बारे में जानते हुए भी हम सब सचेत क्यों नहीं हो रहे...? क्या होगा जब पुरे विश्व में जलवायु परिवर्तन के कारण संघर्ष की स्थिति उतपन्न होगी..? क्या हमें अब इस विषय पर गंभीरता से विचार और प्रयास करने की जरूरत नहीं है...? रिकॉर्ड करायें अपने विचार सुझाव और अनुभव अपने मोबाइल में नम्बर 3 दबा कर।
कोलकाता के एनआरएस अस्पताल में डॉक्टरों से मारपीट के बाद बंगाल से शुरू हुई डॉक्टरों की हड़ताल में, शुक्रवार को देश भर के डॉक्टरों ने भी हिस्सा लिया। डॉक्टरों के शामिल हो जाने से मरीजों की जान पर बन आई है। हड़ताल को पूरे देश के डॉक्टर्स का समर्थन मिल रहा है। आज उनका साथ देने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल स्वास्थ्यमंत्री हर्षवर्द्धन से भी मिला। और इस मामले में उनसे हस्तक्षेप की मांग की। वहीं एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने बंगाल सरकार से यह मांग की है कि वे हड़ताली डॉक्टरों की मांगों को 48 घंटे के अंदर पूरा करें, अन्यथा वे एम्स में अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे। जूनियर डॉक्टर एक रोगी के परिजन द्वारा चिकित्सक से मारपीट के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने पश्चिम बंगाल में आंदोलनरत डॉक्टरों के प्रति एकजुटता जताते हुये शुक्रवार से चार दिन के राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखकर अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के प्रति हिंसा को रोकने के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने का आग्रह भी किया है।इस आंदोलन में डॉक्टर काले रंग के बिल्ले लगायेंगे और धरना देने के अलावा शांति मार्च निकालेंगे।आईएमए ने 17 जून सोमवार को गैर आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं को बंद करने वाली हड़ताल का भी आह्वान किया है। क्या इस देशव्यापी हड़ताल से इस समस्या से निजात पाया जा सकता है...? क्या आपके क्षेत्र में भी इस आंदोलन का असर दिख रहा है...? इस आंदोलन के कारण मरीजों को जो असुविधायें और नुकसान हो रहा है ,उसके लिए कौन जिम्मेदार है...? अपने विचार और अनुभव हमारे साथ साझा करें अपने मोबाइल में नम्बर 3 दबा कर ।
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