उत्तर प्रदेश राज्य के जनपद गाजीपुर से पन्नालाल ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भीषण गर्मी के कारण लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। तापमान बहुत बढ़ गया है। ऐसे में जनपद - गाजीपुर में रोड के किनारे लगे पेड़ों की कटाई की जा रही है। पेड़ नहीं रहेंगे तो, ऑक्सीजन की कमी होगी और मानव जीवन खतरे में पड़ जाएगा। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
मैं कपिल देव शर्मा मोबाइल वाणी ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश सभी को नमस्कार, सुस्त कृषि के अन्य घटकों की तरह, मिट्टी भी जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रही है। रासायनिक उर्वरकों के उपयोग के कारण यह पहले से ही कार्बनिक कार्बन को कम कर रहा है। वर्तमान में, तापमान में वृद्धि मिट्टी की नमी और कार्य क्षमता को प्रभावित करती है। इससे लवणता बढ़ेगी और जलीय विविधता में कमी आएगी। गिरता भूजल स्तर मिट्टी की उर्वरता और उत्पादकता को भी प्रभावित करता है। करेगा बाढ़ जैसी आपदाओं के कारण मिट्टी का कटाव अधिक होगा और सूखे के कारण इसकी बंजरता की दर बढ़ेगी, पेड़ों और पौधों की संख्या में कमी आएगी और विविधता को न अपनाने के कारण उपजाऊ मिट्टी का नुकसान होगा जिससे खेत बंजर हो जाएंगे।
मैं कपिल देव शर्मा मोबाइल वाणी ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश सभी को नमस्कार श्रोताओं जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव जलवायु परिवर्तन का जल संसाधनों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा जल आपूर्ति सूखे की गंभीर समस्या होगी और सूखे और बाढ़ की आवृत्ति में वृद्धि होगी। अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में शुष्क मौसम अधिक लंबा रहेगा। इससे फसलों की उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। वर्षा की अनिश्चितता से फसलों का उत्पादन भी प्रभावित होगा। और जल स्रोतों के अत्यधिक दोहन से जल स्रोतों पर बादल छा जाएंगे। उच्च तापमान में बारिश की कमी से सिंचाई के लिए भूजल संसाधनों का अत्यधिक दोहन होगा। इससे धीरे-धीरे भूजल इतना कम हो जाएगा कि वह नष्ट हो जाएगा।
मैं कपिल देव शर्मा मोबाइल वाणी ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश सभी को नमस्कार श्रोताओं जलवायु परिवर्तन लगभग दस लाख प्रजातियों के उन्मूलन के कगार पर है जलवायु परिवर्तन पर्यावरण के सभी पहलुओं को समाप्त करने के कगार पर है। इसके कारण मिट्टी, हवा, पर्यावरण के साथ-साथ जीवन से जुड़े हर क्षेत्र में संकट बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन दुनिया भर की आबादी के स्वास्थ्य और आजीविका को भी बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट, जो मानव गतिविधियों और जैव विविधता के नुकसान से प्रकृति को होने वाले नुकसान के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है, बताती है कि अगले कुछ दशकों में दस लाख से अधिक प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं। यह रिपोर्ट, प्रकृति और पारिस्थितिकी तंत्र की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करने के अलावा, उन कारकों की भी पड़ताल करती है जिनके कारण पिछले पचास वर्षों में जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य से कपिल देव शर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की जलवायु परिवर्तन के कारण मछली पालन पर खतरा बन रहा है। जलवायु परिवर्तन, विशेष रूप से बढ़ते तापमान, दुनिया भर में मछली उत्पादन को प्रभावित कर रहे हैं, जिससे मछली, जलीय पौधों, प्रवाल और स्तनधारी प्रजातियों की मृत्यु दर में वृद्धि हो रही है।
उत्तर प्रदेश राज्य के ग़ाज़ीपुर जिला से उपेन्दर कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से प्रमोद वर्मा से साक्षात्कार लिया।प्रमोद वर्मा ने बताया कि मौसम परिवर्तन की मुख्य वजह पेड़ो की अंधाधुंध कटाई है। जिस तरह से सड़कों ,नए भवनों ,नए उद्योगों ,इत्यादि का निर्माण हो रहा है,लोग वातावरण के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। आने वाले समय में इसका दुष्परिणाम देखने को मिलेगा। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
उत्तर प्रदेश राज्य के ग़ाज़ीपुर जिला से उपेन्दर कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि मौसम दिन-प्रतिदिन गर्म होता जा रहा है। यहां तक कि वैज्ञानिकों का भी मानना है कि मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस साल भीषण गर्मी पड़ सकती है। राष्ट्रीय राजमार्ग और सभी सड़कें जो बनाई गई हैं और कई करोड़ रुपये के लिए युद्ध स्तर पर काटे गए पेड़ों के कारण ऐसा हुआ है। गंभीर बीमारियाँ, सांस की तकलीफ, शुद्ध ऑक्सीजन की कमी और मौसमी तापमान में वृद्धि, इत्यादि पेड़ काटने के परिणाम हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
दुनिया का तापमान बढ़ रहा है और इससे जलवायु में होता जा रहा परिवर्तन अब मानव जीवन के हर पहलू के लिए ख़तरा बन चुका है। यदि जलवायु परिवर्तन को समय रहते न रोका गया तो लाखों लोग भुखमरी, जल संकट और बाढ़ जैसी विपदाओं का शिकार होंगे। यह संकट पूरी दुनिया को प्रभावित करेगा। आने वाले समय में तापमान इस क़दर बढ़ जाएगा कि मानव जीवन पर संकट आ सकता है, और इन सब प्राकृतिक आपदाओं के फ़लस्वरूप कई प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं. मानव समाज के आगे यह एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इस चुनौती से निपटने के लिए कुछ संभावित समाधान भी हैं. सुनने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।