बुधवार को श्रमिक व किसान संगठनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इससे बैंकिंग, परिवहन और अन्य जरूरी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। करीब 25 करोड़ लोगों के हड़ताल पर रहने की संभावना है। हड़ताल का आह्वान सरकार की 'जन विरोधी' नीतियों के विरोध में किया गया है। पिछले साल सितंबर में 8 जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। कई बैंकों ने भी बुधवार को हड़ताल और बैंकिंग सेवाओं पर इसके असर के बारे में स्टॉक एक्सचेंजों को सूचना दे दी है। किसानों का देशव्यापी ग्रामीण भारत बंद देश के 228 संगठनों ने बुधवार को ग्रामीण भारत बंद का आह्वान किया है। बंद के दौरान किसान खेती--किसानी का कोई काम नहीं करेंगे। सब्जी, दूध, अंडा, मछली जैसा अपना कृषि उत्पाद नहीं बेचेंगे। न ही कोई सामान खरीदेंगे। कृषि उपज मंडियों को बंद रखा जाएगा। जगह--जगह रास्ता रोको आंदोलन और धरना--प्रदर्शन और रैली निकाली जाएगी।इधर केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों से कहा है कि अगर वे आठ जनवरी को हड़ताल में शामिल होते हैं तो उन्हें इसका ‘नतीजा’ भुगतना पड़ेगा। कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कर्मचारियों को यह चेतावनी देते हुये हड़ताल से दूर रहने को कहा गया है। इसमें वेतन काटने के अलावा उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है। श्रोताओं आज किया गया है भारत बंद का ऐलान देखना यह है कि इस बन्द का असर कहाँ-कहाँ नजर आता है।आपके अनुसार क्या ऐसे आंदोलनों से कोई बदलाव होगा या यह सिर्फ समय की बर्बादी है।क्या सरकार को जनता की समस्याओं को समझने और उसका समाधान निकालने के लिये कोई विकल्प नहीं ढूँढना चाहिए जिससे देश की पूरी जनता ऐसे आंदोलनों से प्रभावित ना हो।बन्द के दौरान कैसा रहा आपके क्षेत्र का हाल आप हमें जरूर बतायें अपने फोन में नंबर 3 दबा कर।अगर यह खबर पसंद आई तो लाईक का बटन जरूर दबायें।

इन दिनों देश में जो हालात हैं वो किसी से छिपे हुए नहीं है. हर जगह धरना प्रदर्शन हो रहे हैं, आंदोलन हो रहे हैं. लोगों का गुस्सा उबाल मार रहा है. सरकार के खिलाफ जन आक्रोश वाकई परेशान कर देने वाला है.लेकिन इन सबके पीछे दबाया जा रहा है देश में मंदी का मुद्दा.इस बार जनता ने हमें बताया कि कैसे मंदी के कारण ग्रामीण विकास के काम अटके हुए हैं और उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.ऑडियो पर क्लिक कर सुनें श्रोताओं की प्रतिक्रियाएँ।

इन दिनों देश में जो हालात हैं वो किसी से छिपे हुए नहीं है. हर जगह धरना प्रदर्शन हो रहे हैं, आंदोलन हो रहे हैं. लोगों का गुस्सा उबाल मार रहा है. सरकार के खिलाफ जन आक्रोश वाकई परेशान कर देने वाला है.लेकिन इन सबके पीछे दबाया जा रहा है देश में मंदी का मुद्दा.इस बार जनता ने हमें बताया कि कैसे मंदी के कारण ग्रामीण विकास के काम अटके हुए हैं और उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.ऑडियो पर क्लिक कर सुनें श्रोताओं की प्रतिक्रियाएँ।

कंपनी की आर्थिक स्थिति ख़राब होने की बात कह कर श्रमिकों को नौकरी से निकाला ,मंदी और महँगाई से परेशान हैं श्रमिक वर्ग और कंपनियों से निकाले गए मजदूर भुखमरी के कगार पर पहुंच रहे हैं।कई लाख लोग बेरोजगार हो चुके हैं। श्रोताओं की राय सुनने के लिए सुनें ऑडियो...

अचानक से कोई भी कानून जनता के समक्ष ला कर रख दिया जाता है और यह उम्मीद भी करती है प्रशासन की जनता तुरंत ही इसका पालन भी करने लगे। लेकिन क्या यह संभव है। किसी भी कानून के निर्माण और उसके लागू होने से पहले जनता को जागरूक किया जाए तो किसी भी मामले में बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

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