अब सरकारी स्कूलों में समाज के विभिन्न वर्ग के विशिष्ट लोग, बुद्धिजीवी बच्चों को पढ़ा सकेंगे। सरकार इसके लिए नयी योजना शिक्षा दान योजना लाने जा रही है। इसकी कार्य योजना पर विचार-विमर्श चल रहा है। शीघ्र ही इसे अंतिम रूप से लागू किया जाएगा। इस योजना से न केवल सरकारी विद्यालयों को समाज के बेहतर लोगों का साथ मिलेगा बल्कि शिक्षकों की कमी से जूझ रहे इन स्कूलों को भी राहत मिलेगी। बताया जाता है कि पिछले दिनों शिक्षा दान योजना को लेकर शिक्षा विभाग में गहन मंथन किया गया। इस समय सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। उनके नियोजन की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन, इसमें समय लग सकता है। इसीलिए विभाग शिक्षा दान योजना को वैकल्पिक योजना के रूप में लागू करना चाहती है। इसमें रिटायर शिक्षक, बुद्धिजीवी, समाज के पढ़े-लिखे लोग, स्कूल-कॉलेज के सीनियर छात्र आदि की सेवा ली जा सकती है। ऐसे कोई भी पात्र और पढ़ा-लिखा व्यक्ति सरकार की स्वीकृति और सहमति से विद्यालयों के लिए शिक्षा दान कर सकता है। हालांकि इस योजना के तहत स्कूलों में पढ़ाने वाले व्यक्ति को सरकार की ओर से कोई राशि या मानदेय नहीं दिया जाएगा। उन्हें अपनी सेवा स्वैच्छिक आधार पर देनी होगी और निशुल्क अध्यापन कार्य करना होगा। वे किसी भी स्कूल में स्वैच्छिक बच्चों को पढ़ा सकेंगे। इसके लिए न समय सीमा होगी न दिनों की बाध्यता। हालांकि उन्हें पहले से स्कूल प्रबंधन से क्लास को लेकर चर्चा कर लेनी होगी। वे कितना दिन पढ़ाएंगे और कितना पीरियड लेंगे, यह सब स्वैच्छिक सेवा देने वाले व्यक्ति और स्कूल प्रबंधन या विभागीय अधिकारी के ऊपर निर्भर करेगा। एक व्यक्ति एक से अधिक स्कूलों में पढ़ा सकेगा: सरकार का उद्देश्य है कि इस योजना से बच्चों को बेहतर गुणवत्ता का शिक्षण उपलब्ध हो सकेगा। यही नहीं विद्यालयों में अच्छे शिक्षकों की कमी भी दूर हो सकेगी। इसमें कोई एक व्यक्ति एक या इससे अधिक विद्यालयों में भी पढ़ा सकेंगे। विद्यालय उनकी सेवा समय-समय पर ले सकेगी। इसका सबसे बड़ा लाभ यह भी होगा कि विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई बाधित नहीं होगी।
