सरकारी स्कूलों में आने वाले दिनों में स्थानीय बोली के साथ पढ़ाई होगी। नई शिक्षा नीति के तहत क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों में कक्षा एक से प्लस टू तक की पढ़ाई के लिए बहु-भाषीय शब्दकोश तैयार हो रहा है। बताया जाता है कि स्कूलों में बच्चों को तमाम विषयों की पढ़ाई  मातृ भाषा में पढ़ाई जाए,  ताकि वह समझ सके कि उसकी मातृ भाषा में संबंधित विषयों के शब्दों या संबंधित अवधारणा को क्या कहा जाता है। जल्द ही सभी स्कूल में स्थानीय बोली के साथ पढ़ाई शुरू हो जाएगी। छात्रों को मुख्य धारा में लाने पर है जोर: नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय बोलियों में पढ़ाते-समझाते छात्रों को मुख्य धारा में लाना है। ताकि उच्च शिक्षा में वह भाषा आधारित पिछड़ेपन का शिकार न हो। खासतौर पर उसका उच्चारण भी बेहतर करने पर जोर दिया जायेगा। इस संदर्भ में शिक्षा विभाग ने विशेष रूप से एससीइआरटी को दिशा निर्देश दिए है। इसके तहत स्थानीय बोलियों और भाषाओं का एक शब्दकोश तैयार किया जा रहा है। इस शब्दकोश में किसी विषय सामग्री को मातृ भाषा में उच्चारण वाले शब्द और उससे संबंधित अंग्रेजी-हिंदी के शब्द शामिल रहेंगे। साथ ही शब्दकोश के अलावा एक विशेष रिसोर्स मैटेरियल भी बनाया जा रहा है। यह सामग्री शिक्षकों को दी जाएगी। शिक्षकों को इसमें प्रशिक्षित किया जा रहा है। साथ ही इस तरह अंगिका, बज्जिका, भोजपुरी, मगही, मैथिली आदि क्षेत्रीय भाषाओं में मुख्य धारा के विषय पढ़ाने की कवायद आरम्भ की गई है।