मनरेगा को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम सौ दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। परंतु पण्डितपुर पंचायत जनता के उद्देश्यों को पूरा करने में विफल रहा। यहां वित्तीय वर्ष 22-23 में मात्र 17.66 लाख का काम हुआ। जिससे महात्मा गांधी के नाम का यह योजना पंचायत का विकास तो दूर गरीबों को सामान्य रोजगार मुहैया कराने में भी विफल रहा। पीओ प्रकाश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि प्रखण्ड में वित्तीय वर्ष 22-33 में मनरेगा योजना के तहत कुल 380.85 लाख का काम हुआ। जिसमें वीरछपरा में 63.46, दक्षिणी देकहा में 76.15, पण्डितपुर में 17.66, सलेमपुर में 34.12, सूर्यपुर में 142.36 व टिकैता गोबिंदापुर 23.08 लाख जनहित का कार्य किया गया। जिसमें पंचायत समिति द्वारा 21.33 लाख का काम हुआ। जिसमें सूर्यपुर पंचायत 142.36 लाख के कार्य का क्रियान्वयन कर सबसे आगे है। वहीं पण्डितपुर पंचायत में इस महत्वाकांक्षी योजना विफल रहा। बताया कि प्रखण्ड के 575 लाभार्थियों को आवास योजना में मनरेगा से लाभान्वित किया गया है। मनरेगा से पंचायतों की सड़कों, नहरों, तालाबों, कुओं का निर्माण कर पंचायत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। निवास के 5 किमी के भीतर रोजगार उपलब्ध कर न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाता है। जिससे मजदूरों का पलायन रुक सके। परंतु चुने हुए प्रतिनिधि द्वारा इस दायित्व का निर्वहन नहीं करने से महात्मा गांधी का सपना साकार होते नही दिख रहा।