हेपेटाइटिस बी व सी के मरीजों के लिए सरकार ने बड़ी राहत दी है। सरकारी अस्पताल में इन मरीजों को मुफ्त दवा देने की बात कही है। मगर हालत यह है कि सदर अस्पताल में दवा उपलब्ध नहीं है। जबकि जिला में हेपटाइटिस बी के मरीजों की संख्या काफी है। दवा महंगी, खरीदारी में होती है परेशानी हेपेटाइटिस बी व सी की बीमारी तीन कारणों से होती है। पहला हेपेटाइटिस बी के संक्रमित के शारीरिक सम्पर्क में रहने से, दूसरा संक्रमित का ब्लड चढ़ाने से, तीसरा संक्रमित को दिए गए सुई से दूसरे को सुई पड़ने से होता है। बताते हैं कि समय पर इलाज नहीं हो तो लीवर सिरोसिस हो सकता है। मगर इसका जांच व महंगी दवा होने के कारण दवा की खरीदारी सबके बस का नहीं होता है। बताते हैं कि इसको लेकर सरकार ने सरकारी अस्पताल में मिलने वाली मुफ्त दवा की सूची में हेपेटाइटिस की भी दवा शामिल कर दिया। मगर विभागीय उदासीनता के कारण यह दवा सदर अस्पताल के स्टोर में आपूर्ति नहीं की जा रही है। तेजी से बढ़ रहे हैं हेपटाइटिस के मामले जानकर बताते हैं कि जिला में इनके मरीजों की संख्या हजारों में है। यह बीमारी एचआईवी से ज्यादा फैल रही है। ऐसे संक्रमित का ब्लड अगर जमीन पर गिरे या इसका लिया हुआ इंजेक्शन के निडिल में लगे ब्लड में15 मिनट तक वायरस जिंदा रहता है। जबकि एचआईवी का दो मिनट तक जिंदा रहता है। इससे काफी बचाव करना पड़ता है। अगर समय पर इलाज नहीं हुआ तो ऐसी महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चे को प्रसव के दो घंटे के अंदर हेपटाइटिस का महंगा टीका देना अनिवार्य होता है। ताकि नवजात को इस बीमारी से बचाया जा सके। बचाव के लिये स्वस्थ्थ कर्मियों को पड़ेगा टीकाविभागीय सूत्रों के अनुसार जिला में जिस तेजी से हेपेटाइटस बी बढ़ रहा है ऐसे में सभी स्वास्थ्य कर्मियों को इससे बचाव के लिये मुफ्त में टीका देने का निर्देश राज्य स्वास्थ्य समिति ने दिया है। क्योंकि बहुत ऐसे लोग हैं जो इलाज के लिये सरकारी अस्पताल में आते हैं या तो बीमारी को छुपा लेते हैं या जानकारी नहीं होती है। ऐसे मरीज का इलाज या ऑपरेशन में स्वाथ्यकर्मियों के हेपटाइटिस होने का अधिक खतरा को देखते हुए सरकार ने बचाव का टीका मुफ्त में देने का निर्देश जारी किया है। हेपेटाइटिस बी की दवा मंगाने को लेकर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। दवा उपलब्ध होने के बाद मरीजों को निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा। -डॉ. अंजनी कुमार,सिविल सर्जन हेपेटाइटिस बी संक्रमण से होता है। इसका इलाज महंगा है। सरकारी अस्पताल में दवा रहनी चाहिए। निजी डॉक्टर के पुर्जा पर भी टीबी के मरीज की तरह दवा मुफ्त में मिलनी चाहिए। - डॉ आशुतोष शरण,आईएमए अध्यक्ष
