भगवान को जिस समय उनको पुकारा जाता है वे उसी समय ही किसी न किसी रुप में प्रकट हो जाते हैं। सच्चे विश्वास और भक्ति से ही भगवान की प्राप्ति होती है। ये बातें पांचवे दिन के प्रवचन के क्रम में अयोध्या से पधारे संगीतमय श्री रामकथा वाचक रामप्रवेश दास जी महाराज ने हनुमानगढ़ी मंदिर परिसर में आयोजित संगीतमय श्रीरामकथा ज्ञानयज्ञ के पांचवें दिन के कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं से कही। उन्होंने भगवान श्रीराम की बाल-लीला व मिथिला गमन की कथा सुनाते हुए कहा कि रामचरितमानस का प्रत्येक चौपाई एक महामंत्र है। जीवन की सभी समस्याओं का निदान मानस में हेै। गोस्वामी तुलसीदास ने सबके लिए सरल और सहज भाव से इसे लिखा है।प्रत्येक घर में इसका पाठ होना चाहिए।हमें भगवान पर विश्वास रखनी चाहिए। किसी काम के होने में विलम्ब हो सकता है पर भगवान के दरबार में कभी भी गलत नहीं हो सकता है। बताया कि बड़े भाग्य से हमें मनुष्य जन्म मिला है। इसका सदुपयोग भगवान की पूजा, जप, ध्यान व सत्कर्म में किया जाना चाहिए। हमें इस प्रकार का कर्म करना चाहिए जिससे किसी को कोई परेशानी नहीं हो। हमें अच्छा कर्म करना चाहिए। अच्छे कर्म का फल अच्छा ही होता है। छात्र करें माता सरस्वती की पूजा उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को उत्तम विद्या तथा उत्तम बुद्धि के लिए माता सरस्वती की प्रतिदिन पूजा करनी चाहिए। अगर पूजा संभव नहीं हो तो कम से कम माता सरस्वती के एकादशाक्षर मंत्र ऊं हृं ऐं हृीं सरस्वत्यै नम का जाप अवश्य करना चाहिए।
