प्राकृतिक खेती में उत्पादन लागत में कमी होगी जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। कई तरह के प्रदूषण से बचाव के साथ ही प्राकृतिक खेती से भूमि की उर्वरता बनी रहती है। इसके उत्पादों के उपयोग से कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र परसौनी के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ अरविंद कुमार सिंह के नेतृत्व में कृषि वैज्ञानिक किसानों को प्राकृतिक खेती के गुर सिखाया जा रहा है। वरीय वैज्ञानिक श्री सिंह के अनुसार प्राकृतिक खेती का मुख्य उद्देश्य सूक्ष्मजीवों का मिट्टी में बढ़ावा देना और अधिक महत्व देना है जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करना प्रमुख उद्देश्य है।प्राकृतिक खेती के उत्पादन को प्राकृतिक की शक्ति माना जाता है। खेत की अधिक जुताई से मृदा के कणों का आकार घटता है । वहीं मृदा विशेषज्ञ डॉ आशीष राय ने बताया कि गोमूत्र, गोबर, घी, दही, दूध आदि को पंचगव्यों को मिलाकर प्रयोग किया जाता है।