बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौरप्रखंड से रंजन कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से श्रमिकों के बारे में बनाडीह गांव के प्रवासी मजदुर नारायण यादव से बातचीत कर रहे है,जिसमें नारायण जी का कहना है कि ये मुंबई शहर में ऑटो चलाते हैं उनके साथ वहाँ स्थानीय मजदुर भी ऑटो चलाने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें वहाँ ऑटो उनके मालिक के द्वारा दिया गया है,.साथ ही उन्होंने अपनी परेशानी भी हमारे सामने रखी। जैसे की भाषाओं को सुन कर,उनका जवाब नहीं दे पाना क्यूंकि मुंबई की भाषा उनके अपने गांव से बहुत ही अलग है तो उन्हें समझने में बहुत मुश्किल होती है। उन्होंने बताया कि वहां के स्थानीय लोगो को बहुत कम मात्रा में काम दी जाती है बिहार के लोगों की अपेक्षा। क्यूंकि बिहार के लोग बिना किसी हिचकिचाहट के कम पैसे में ही राजी हो जाते हैं ,जबकि वहाँ के स्थानीय लोग कम पैसे में काम नहीं करना चाहते है। इस वजह से वहां के स्थानीय लोगो को ऑटो नहीं दी जाती है । नारायण जी ने बताया कि उन्हें वहाँ अपनी लड़ाई खुद लड़नी होती है और वहाँ उनका अपना कोई नहीं होता। किसी बात पे बहस होने पर भी वहां उनकी कोई पक्ष नहीं लेता। स्थानीय प्रशासन तक भी वे मजदुर की अपनी बात नहीं पहुंचा पाते।नारायण यादव ने हमे यह भी बताया कि उनका सपना है कि वो काम कर वापस अपने शहर बिहार जाकर अपने बच्चो को पढ़ाना-लिखना चाहते हैं। उनका सपना पूरा करना चाहते हैं।मगर उन्होंने यह भी कहा कि अब तक उनका सपना पूरा नहीं हो पाया है। इस तरह उन्होंने हमारे बिच अपनी बात रखी।