बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से संजीवन कुमार सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से मौरा गांव में अजीत सिंह से प्रवासी मजदूरों के बारे में बातचीत कर रहे हैं जिसमे अजीत सिंह का कहना है कि ये गुजरात में एक कंपनी में आईटीआई लेबल का काम करते हैं। वहाँ के अस्थानीय लोग भी उनके साथ काम करते हैं और वहाँ उनके साथ भेद भाव भी किया जाता है वहां के तीन लोग जो हिंदी भाषी नहीं हैं, वे उन्हें हाय दृष्टि से देखते हैं उनके जो साहब थे वो मध्य प्रदेश के हैं वो हमेशा कहते थे की शुरूआती काम में थोड़ी दिक्कत होती है धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा। ऐसा कहकर वो उन्हें सांत्वना देते थे।उन्होंने बताया की ड्यूटी के लिए उन्हें सुबह पांच बजे ही उठना पड़ता था क्यूंकि 5 से 6 बजे तक ही कंपनी के कॉलोनी में काम मिलती थी।उन्होंने बताया की वो 8 बजे कंपनी चले जाते थे ,वहाँ जाते ही जो उनके तीन सीनियर लोग थे वो उनके ऊपर मजाक उड़ाते थे। और जब इनकी शिकायत लेकर वो बॉस के पास जाते तो उनके बॉस उन्हें बहला कर वापस कर देते थे। उन्होंने कहा की बिहार में काम नहीं मिलती आईटीआई करने के बाद भी कोई उपाय नहीं मिला। सरकारी में प्रयास करने के बाद भी आरक्षण की वजह से नहीं होता था और प्राइवेट कंपनियां जो हैं वहाँ जान-पहचान के लोगो को ले लिया जाता था। इस वजह से उन्हें गुजरात जाना पड़ा काम के लिए। इन सब की जिम्मेदार सरकार है।