बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से रंजन कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बनाडीह गांव के राखी जी के साथ मजदूरों के पलायन पर बातचीत कर रहे है। जिसमे राखी जी ने कहा कि प्रवासी लोगों को अनजान शहर में भाषा,रहन,सहन में दिक्कत होती है। वहां के लोग हिंदी भाषा को गलत भाव में लेते हैं और प्रवासी लोगों को मजदुर की दृष्टि से देखा जाता है, साथ बैठने तक की अनुमति नहीं होती।वहां की सरकार किसी भी कल्याणकारी योजना का लाभ प्रवासी लोगों को नहीं देते है। उन्होंने बताया की जबतक वो वहां रहते हैं भय के साथ रहते हैं क्यूंकि उनके साथ उनकी पूरी परिवार होती अगर बात छिड़ गई तो वो मार पर उतर आते हैं।वहां के स्थानीय लोग प्रवासी लोगों को बिहारी कह कर सम्बोधित करते हैं और हमेशा निचा भाव से देखते हैं। राखी ने बताया की वो वहाँ भगवान् भरोसे रहते क्यूंकि वहां न ही रहने की उचित जगह होता है और न ही उचित काम।उन्होंने अपने सपने के बारे में कहा की प्रदेश जाकर काम करेंगे और बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगे, साथ ही बूढ़े माँ बाप की सेवा करेंगे और उनके अधूरे सपने को पूरा करेंगे पर उनके यह सपने पुरे नहीं हो पाए।और उन्हें वो शहर छोड़ कर भागना पड़ा। इन सब की जिम्मेदार वो प्रदेश सरकार को समझते हैं। राखी ने यह भी कहा की अपने राज्य सरकार को गुजरात,महाराष्ट्र और असम के सरकार से बात करनी चाहिए कि जो भी मजदुर वहाँ काम करने जाते हैं उनकी पूरी सुरक्षा देनी चाहिए और दोनों सदस्यों में आपसी सहमति होनी चाहिए।