बिहार के जिला मधुबनी प्रखंड खजौली से रामाशीश सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि महिला सृष्टि का आधार है। लेकिन पुरुष प्रधान भारतीय समाज में पुरुषों की मानसिकता सदा से ही महिला के प्रति विरोधी रहा है। रामायण काल में भी सीता को पवित्रता सिद्ध करने के लिए उन्हें अग्नि-परीक्षा देनी पड़ी थी।प्रजारंजन के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने सीता को गर्भावस्था में ही वनवास भेजा दिया था। वनवास से आने के पश्चात् भी प्रजा को विश्वास दिलाने के लिए ऋषि वाल्मीकि के लाख प्रयास के बाद भी श्री राम ,माँ सीता की अग्नि परीक्षा लेना चाहते थे। अंत में सीता जी विवश होकर धरती माता की गोद में चली गई। द्वापर युग में भी द्रौपदी का, ध्रितराष्ट्र की भरी सभा में चिरहरण हुआ था। साथ ही सुभद्रा एवं रुक्मणि का अपहरण भी उसी युग में हुआ था। आज निर्भया कांड जैसी घटनाएँ प्रायः होते ही रहतीं हैं। दुर्गा ,काली ,चंडी के पूजक देश में नारी के प्रति पुरुष क्यों क्रूर बना हुआ है ? यह एक गंभीर मामला है। भारत जैसे कल्याणकारी राज्य में जहाँ सरकार का दायित्व पालना से शमशान तक जनता की सेवा करना है।वहीं महिला का शोषण ,दोहन एवं उत्पीड़न जन्म से ही प्रारम्भ हो जाता है। लड़की होने का एहसास होने पर ही भ्रूण हत्या की जाती है, जो एक जघन्य पाप एवं भारतीय संविधान के अनुसार दंडनीय है। लड़कियों की शिक्षा -दीक्षा में भी भेद-भाव किया जाता है,जो कि भारतीय संविधान के अनुसार लिंग के आधार पर भेद-भाव का सीधा उल्लंघन है
