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राजधनी दिल्ली से साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से दीपिका जी ने बताया के फैटिरियों में काम की जानकारी के बिना ही किसी भी काम पर लगा दिया जाता है। लेकिन जब बड़े हादसे हो जाते है तब कंपनी की सुरक्षा प्रबंधन कि पॉल खुल जाती है। वर्ष के शुरुवात में ही बावन के एक फैक्ट्री में आग लगने से 17 श्रमिकों की जान चली गई थी। जहाँ पर गैर क़ानूनी ढंग से पटाखे का निर्मण किया जाता था।बिना काम के बारे में जाने श्रमिक भी पैसा कामने के मज़बूरी में लग जाते है। बावन हादसे के पीड़त परिवार और ओखला के सीआइआइटी यूनियन से इस विषय पर बात करने पर उन्होंने बताया की ना तो काम कर रहे कर्मचारी को कंपनी या फैक्ट्रियों में काम के विषय में नहीं बताया जाता है कि उन्हें करना क्या है। घर परिवार को छोड़ वे बाहर जा कर घर परिवार के जीवन यापन चलने के लिए मज़बूरी में उन्हें काम करना पड़ता है

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