गुजरात से मुकेश मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे एक बार विवेकानंद ने परमहंस जी से कहा, "आप भूखे हैं, रामकृष्ण।" परमंश ने कहा कि बेटा, मुझे कैंसर है, आप जानते हैं, लेकिन रामकृष्ण परमहंस ने जब बात की तो उन्हें बहुत अच्छा सबक दिया। विवेकानंद जी, अगर आप खाते हैं तो मेरा पेट भर जाता है, मुझे भूख नहीं है, मुझे भगवान की भूख है। तब विवेकानंद को यह समझ में आया। वे एक पूर्ण संत हैं, उन्हें भूख नहीं लगती, इतना बड़ा कैंसर होने के बाद भी उन्हें कभी किसी चीज की कोई इच्छा नहीं थी, इसलिए विवेकानंद उनसे फिर कभी नहीं पूछते थे कि परमहंस जी, आप भूखे हैं क्योंकि उन्होंने उनसे वादा किया था कि अगर आप खा रहे हैं, तो समझें कि मैं खा रहा हूं, तो यह हमारा भी प्रयास होना चाहिए।