ये नन्द किशोर, साझा मंच मोबाईल वाणी के सम्वाददाता कापासेड़ा, नई दिल्ली से बता रहे हैं कि कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन के इस दौर में यहाँ रह रहे प्रवासी श्रमिक भाईयों किसी तरह से पैसे की व्यवस्था कर समूह में वाहन, जैसे बस/ट्रक आदि रिज़र्व कर अपने-अपने घर पहुँचे और जान है तो जहान है कि उक्ति को चरितार्थ किया। लेकिन सरकार के द्वारा उन प्रवासी श्रमिक भाईयों को मुफ़्त में घर पहुँचाने के दावे झूठे साबित हुए।