तमिलनाडु राज्य के तिरुपुर से मीना कुमारी ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि मीना के भाई के यहाँ कुछ श्रमिक बता रहे थे कि तिरुपुर में स्थित एक कंपनी में कार्य करते हुए उन्हें लगभग 25 साल हो गया हैं पर उनके वेतन अभी भी सही से नहीं मिल रहे हैं। बोनस भी उन्हें बहुत कम मिलता हैं। बहुत बार कहने पर ही सैलरी बढ़ोतरी की जाती हैं वो भी एक साल में केवल पाँच रूपए। श्रमिक अगर वेतन को लेकर विरोध करते तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता हैं। केवल उन्ही श्रमिकों को नौकरी पर रखा जाता हैं जो कम वेतन में ही काम करने को राज़ी रहते हैं। जिस क्षेत्र में श्रमिक लोग रहते हैं वहाँ केवल एक वही कंपनी मौजूद रहने के कारण श्रमिक कम वेतन में कार्य करने को मज़बूर हैं। श्रमिक यह भी कहते हैं कि 220-230 रूपए के शिफ्ट में काम करते हैं। रात में एक से डेढ़ घंटे देर तक काम करने के बावजूद भी सप्ताह भर में 2000 तक भी कमा नहीं पाते हैं।

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साझा मंच पर सवाल रिकॉर्ड करने के लिए धन्यवाद। आपने कई उल्लंघन सूचीबद्ध किए हैं न्यूनतम मजदूरी से नीचे, कोई बोनस नहीं, जबरन ओवरटाइम, अनुचित बर्खास्तगी। हम कुछ और जानकारी के लिए पूछना चाहेंगे: इस इकाई में कितने हिंदी बोलने वाले श्रमिक हैं? क्या तमिलों के साथ-साथ हिंदी भाषी भी यहाँ काम कर रहे हैं? और क्या उनकी भूमिकाएँ अलग हैं? क्या तमिलों के लिए स्थितियां अलग हैं? श्रमिकों के दो समुदाय कभी क्या एक हुए थे ? इसके अलावा, इन श्रमिकों को एक नए क्षेत्र में स्थानांतरित करने की संभावना क्या है, जो उन्हें स्थानांतरण से रोक रही है? यदि आप इस अतिरिक्त जानकारी को सूचित करते हैं, तो हमें सुझाव देने में बेहतर होगा।
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Aug. 20, 2019, 5:37 p.m. | Tags: int-PAJ   wages