झारखंड राज्य के गुमला ज़िला के चैनपुर प्रखंड से राजू जी बताते हैं कि वर्तमान समय में लोग मिटटी के वस्तु की जगह अन्य चाइनीज या स्टील के बर्तनो का उपयोग करते हैं। जिसके कारन आज कुम्हारों की स्थिति दयनीय होती जा रही है। जिससे कुम्हार भी अब मिटटी के बर्तनों को बनाने में कम रूचि दिखाने लगे हैं। आये दिन देखा जा रहा है की लोग अब बाजार से विदेशी या चायनीज वस्तु ही खरीदते हैं। और कुम्हारों के द्वारा बनाया गया मिटटी के वस्तुओं का उपयोग कभी कभी ही करते हैं। जिससे कुम्हारों का अस्तित्व भी खतरे में आ गया है। इस समय देखा जाए तो कुम्हार मिटटी की वस्तुओं को बनाना छोड़ कर अन्य क्षेत्र में भी कार्य करने में लगे हैं। क्योकि अब मिटटी के बर्तनो से उनके परिवार का भरण पोषण करना संभव नहीं हो रहा है। साथ ही कुम्हार लोग शिक्षा के प्रति रूचि दिखाने लगे हैं। जिससे वे अब पढ़ लिख कर विभिन्न क्षत्रों में नौकरी भी कर रहे हैं। इस कारण से भी कुम्हारों का अश्तित्व खत्म होता जा रहा हैं।