शैलेन्द्र सिन्हा साथ में सामाजिक कार्यकर्ता अबरार ताबिंदा जो कि मधुपुर से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से आय कि असमानता पर कहते है कि झारखण्ड के मूलवासियो आदिवासियों को उनका हक़ नहीं मिला ग्राम सभा को सशक्त किया जाये ताकि ग्राम सभ कि योजनाओ को कार्यन्वित किया जा सके न कि ऊपर से जो योजना बन कर आती है उसे लागु किया जाये. झारखण्ड के विधार्थियों के लिए कहते है कि यहाँ अकेडिमिक माहोल नहीं रोजगार के लिए खुद हाथ-पाव मरने पड़ते है, इस्वजः से लोग बाहर कि और पलायन करते है सरकार ने किसानो के लिए जो योजनाये बनायीं गयी उससे किसान आत्महत्या करने लगेंगे दुसरे राज्यों में तो करने लगे.क्यों क्योंकि किसान को जो फायदे मिलने चाहिए वो नहीं मिल पा रहा है.
