चतरा से सबिता बनर्जी मोबाइल वाणी के माध्यम से महिला हिंसा को कैसे रोक जाए उसकी जानकारी दे रही है। वो बताती है कि हमें सबसे पहले उनलोगो की पहचान करनी बहोत जरुरी है जो लोगो इस तरह की हिंसाए करते है। आम तौर पर लोगो का यह मन्ना है कि पुरुष वर्ग ही महिलाओ पर हिंसा करते है मगर ये कहना बिलकुल गलत होगा। आज देखा जाता है कि घर की कई महिलाए भी गरेलू हिंसा को अंजाम देती है। इस हिंसा में घर की ननद,सास भी सामिल होती है।कई बार ऐसा भी होता है कि घर की जो बहु होती है वो अपने बूढी सास पर भी हिंसा करती है।ऐसे हालत में घरेलु हिंसा को रोकने के लिए सबसे पहले क्या करना चाहिए उसकी जानकारी ये दे रही है। सबसे पहले कानून में जो हिंसाओ को रोकने के लिए समाधान बताया गया है उसे लोगो को बताना। उन तक इसकी पूरी जानकारी पहुचना। क्युकी आज के तारीख में लोगो के पास इसकी जानकारी ही नही है। दूसरी बात ये बता रही है कि इन सभी की जानकारी ही देना ही काफी नही है बल्कि जो कानून में उल्लेखित सुविधाए है उसका क्य्रन्वयन भी सही तरीके से हो। क्युकी बहोत बार कानून में बहोत सारी बाते तो लिखी होती है मगर जब हम उसके वास्तविक जीवन में इस्तमाल करने जाते है तब पता चलता है कि हम कानून के दरवाजे पर तो पहुच गये है मगर इसकी कार्यवाही होने में वर्षो समय लग जाती है। और लोग पालिक और कोट के चक्कर लगा लगा के थक जाते है मगर उनको इंसाफ नही मिलता है। इसिलए एक तो जो जन सामान्य है उनको जागरूक कर के और दूसरा इसमें जो क़ानूनी सुविधा पहुचने वाले लोग है,खासकर के पुलिस प्रशाशन,न्यायपालिका से जुड़े जो लोग है उनको भी संवेदन शील बनाने की जरुरत है। तीसरी बात यह है कि इस हिंसा को रोक कैसे जाए तो इसके होने से पूर्व एक उपाय है। अगर किसी के साथ यह हिंसा हो रहा है और वह इस से निजत पाना चाहती है तो उस इन्सान को परामर्शी सेवा का उपयोग करना चाहिए। यह एक बड़ा माध्यम है जिससे लोग ऐसी हिंसाओ से निजत पा सकते है। लेकिन इसमें जो परामर्शी सेवा देने वाले लोग है उनको बहोत सहजता से लोगो को सभी बाते समझनी की आवश्यकता है।जो भी परामर्शी सेवा के सदस्य हो वो दोनो ही इन्सान जो हिंसा कर रहा है और जिसके साथ हिंसा हो रहा है उन्हें आमने सामने बिठा कर उनसे बात करे और दोनो तथ्य को सही तरीके से सुने।इसके बाद उन दोनो ही पक्षो को एक सही और उचित सलाह दे।जरुरत पड़ने पर पुलिस की सहायता भी ले। पुलिस के पास ऐसा अधिकार है कि वो ऐसे मामले को सुने और उसका निदान भी करे। इन्होने चेतना केंद्र के साथ ऐसे बहोत से मामले को देखा भी और उनके समस्या का समाधान भी किया है। हाल ही की एक घटना को बता रही है और साथ ही साथ कह रही है की परामर्शी सेवा का उपयोग लोगो जरुर करे। यही एक जरिया है जिससे लोगो गरेलू हिंसा से निजत पा सकते है।