झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ ज़िला के बड़कागांव से रुपेश राज मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताते हैं, कि महिला एवं पुरुष के कार्यों के बीच मजदूरी भत्ता में असमानता एक चिंता का विषय बन गया है। गांवों में अक्सर यह देखा जाता है कि पुरे घर-गृहस्थी सँभालने की जिम्मेदारी एक अकेली महिला के ऊपर रहता है। महिला मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हुए पुरे परिवार को चलाती हैं। आज जो कार्य पुरुष करते हैं, वही कार्य महिलाएं भी कर रही हैं। लेकिन यदि वेतन की बात करें, तो पुरुषों के कार्यों की अपेक्षा महिलाओं को बहुत कम वेतन दिया जा रहा है। आज समाज में बेटा-बेटी और महिला पुरुष में हो रहे भेदभाव को कम किया जा रहा है, लेकिन मजदूरी भत्ता देने के समय दोनों में अंतर किया जाता है। जिससे महिलाएं पूरी जिज्ञासा से अपने कार्य को नहीं कर पाती हैं।