झारखंड राज्य के गोड्डा जिला से निरंजन सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में तब ही सुधार आ सकेगा जब सरकार और जनता दोनों ही मिल कर प्रयास करेगी।लेकिन आज तक सरकार का ध्यान इस तरफ गया ही नहीं है।सरकार सिर्फ कागजी खाना-पूर्ति में ही व्यस्त रह जाती है।सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए ज्यादातर पारा शिक्षक होते हैं और स्कूलों में सरकारी शिक्षक मौजूद नहीं होते हैं।पारा शिक्षकों द्वारा बच्चों की पढ़ाई सही ढंग से नहीं हो पाती है।अभिभावकों को भी जागरूक होने की जरुरत है।आज के समय पर अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में ही पढ़ाते हैं।सरकारी स्कूलों में वही बच्चे पढ़ते हैं,जो बहुत ही गरीब परिवार से होते हैं।उन्होंने यह भी बताया कि स्कूलों में मिलने वाला मध्यान भोजन की ओर बच्चों का ध्यान रहता है और बच्चे पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते हैं।ऐसे में मध्यान भोजन से स्कूलों में बच्चों की उपस्थित तो बढ़ी है लेकिन गुणवत्तपूर्ण शिक्षा में बढ़ोतरी नहीं हुई है।चूँकि बच्चे स्कूल तो आते हैं लेकिन सिर्फ मध्यान भोजन खाकर वो घर जाने की तैयारी में लगे रहते हैं।अत: वे कहते हैं कि मध्याहन भोजन की राशि सीधे बच्चों के खाते में देने की व्यवस्था होनी चाहिए तभी शिक्षा की स्थिति में सुधार होगा। साथ ही इसके लिए अभिभावकों को भी जागरूक होना होगा।