झारखंड राज्य के बोकारो जिला के नावाडीह प्रखंड से महावीर महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि भारत के इतिहास में 1 अप्रैल 2010 एक ऐतिहासिक दिन था। इसी दिन बच्चों के लिए नि:शुल्क शिक्षा और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम लागू किया गया था। शिक्षा के अधिकार को वैसा ही वैधानिक स्तर प्रदान किया है, जैसा की भारतीय संविधान के अनुछेद 21-(क) में उपलब्ध है।इस अधिनियम के तहत छः से चौदाह वर्ष के बीच के उम्र वाले प्रत्येक बच्चों को प्रथम से आठवीं वर्ग तक की मुफ्त प्रारंभिक शिक्षा उसके घर के आस-पास के स्थित स्कूलों में दिया जाना है। इससे भारत का निर्माण करने के लिए बुनियादी जरूरतें प्रदान की जा सकेगी।शिक्षा के क्षेत्र में प्रत्येक बच्चा चाहें वो गरीब हो या अमीर वो एक जैसा ही सपना देख सकेंगे और उन्हें प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध हो पाएगी। पूर्व प्रधान मंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने वर्ष 2010 से 2020 को नवाचार का दशक घोषित किया था। इस प्रयाजनार्थ पूर्वरुपिये सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में दूरगामी सुधार की घोषणा की थी । जो सत्ता में लौटने के बाद प्रथम 18 माह में किए जाएँगे तथा उत्कृष्टता विस्तार समग्रह के सिद्धांत पर बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए संस्थान स्थापित करने की बात भी । लेकिन वर्तमान में अबतक बुनियादी प्रारंभिक शिक्षा मध्य विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए समुचित आर्थिक शिक्षा व्यवस्था सुचारु रूप से करने में नाकाम रही है। आज कई विद्यालयों में पानी,भवन,बेंच,भोजन एवं जरुरत के अनुसार शिक्षकों की भरपाई नहीं हो पाई है। जिससे छात्र-छात्राओं को पठन-पाठन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।