जिला हज़ारीबाग़ बिष्णुगढ प्रखंड से राजेश्वर महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। और देश की लगभग 70% आबादी आज भी कृषि पर ही निर्भर हैं। हमारे देश में मौसम के आधार पर रबी एवं खरीफ फसल लगातें हैं।धान का फसल पुरे झारखण्ड में लगाया जाता है और अच्छे उत्पादन होने की उम्मीद की जाती है।कृषक धान के बाद गेहूं,चना,जौ की खेती करते हैं।किसान बंधू अक्टूबर-से दिसंबर तक फसल की बुवाई करते हैं।और मार्च अप्रैल में गेहूं की कटाई करते हैं। इस बीच किसानों को कई तरह के कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है।सबसे पहले किसानों को बीज,खाद्य,दवा और डीजल बाजार से खरीदना पड़ता हैं। इसका मुख्य वजह है कि प्रखंड में पैक्स द्वारा किसानों के मांग के अनुसार पूर्ति नहीं की जाती है। पैक्स से लाभ वही लोग उठा पाते हैं , जो पैक्स के नजदीक होते हैं। साथ ही राज्य में सिचाई की असुविधा पाई जाती है। बावजूद इसके किसान खेती करते हैं। लेकिन गौर करने वाली बात तो यह हैं कि खेतों में लगे फसलों को लावारिस जानवरों द्वारा बरबाद कर दी जाती हैं।दूसरी ओर द्रेक्टर से खेतों की जुताई में भी खर्च आती हैं लेकिन डीजल की सब्सिडी किसानों को नहीं मिल पता है। यही वजह है कि आज भी किसान पूंजीपतियों के हांथों कठपुतली बनने के लिए मजबूर हो जाते हैं । वे कहते हैं कि किसानों की समस्या यही पर ख़त्म नहीं होती बल्कि वे ठण्ड,गर्मी और बरसात में अपने जान को जोखिम में डाल कर फसल का उत्पादन करते हैं इसके बाद भी किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।अतः वे कहते हैं कि कैम्प लगा कर और श्रम विभाग से मिल कर फसलों का बीमा करनी चाहिए।जिसमे किसानों को प्रीमियम की राशि नहीं देना पड़ता है ।