प्रखंड तोपचांची , जिला धनबाद , झारखण्ड से फर्केश्वर महतो जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि झारखण्ड में मलेरिया का प्रकोप अक्सर बरसात के दिनों में बढ़ जाता है।सरकार कई क्षेत्रों को मलेरिया जोन भी घोषित कर चुकी है। साथ ही मलेरिया से बचाव के लिए मच्छरदानी , डीडीटी पाउडर का छिड़काव कराती है , परन्तु सुदूर क्षेत्रों में सरकार की नज़र नहीं होती है। वे बताते है कि डेंगू , चिकनगुनिया , मलेरिया के आदि मच्छर गंदे नाली एवं आस पास साफ सुथरा नहीं रहने के कारण फैलता है। वे बताते हैं कि पूर्व में ग्रामीण क्षेत्रों में मलेरिया से बचाव के लिए नीम का खल्ली जलाकर मलेरिया मच्छर से बचा जाता था परन्तु वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में मलेरिया का प्रकोप ज़्यादा देखने को मिलता है। मलेरिया बुखार के लक्षण के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि कपकपी के साथ तेज बुखार आना ,सिर दर्द होना खाना खाने का इच्छा न होना आदि मलेरिया एवं डेंगू का लक्षण है । साथ ही उन्होंने बताया कि डेंगू होने पर 3 से 7 तक में पता चलता है और इसके बाद पीड़ित व्यक्ति का हालत ख़राब होने लगता है। इसलिए जरूरी हैं कि बीमारी का पता चलते ही तुरंत रोगी का इलाज कराना चाहिए। डेंगू से बचाव के सम्बन्ध में उन्होंने बताया कि पपीता का का फल एवं पत्ता डेंगू बीमारी से बचने के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि मलेरिया , डेंगू एवं चिकनगुनिया जैसे बीमारी से बचाव के लिए शिविर लगाकर लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। उन्होंने ययह भी बताया कि उनके पंचायत में हर वर्ष डायरिया से बचाव के लिए स्वास्थ्य केंद्र द्वारा ओआरएस का पैकेट वितरण किया जाता है परतु मलेरिया , डेंगू एवं चिकनगुनिया जैसे बीमारी से बचाव के लिए किसी तरह का प्रयास नहीं किया जाता है।