राधू राय,जिला धनबाद के बाघमारा प्रखंड से मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि झारखण्ड में लोकगीत विलुप्त के कगार पर है।हर क्षेत्र,प्रदेश के लिए लोक गीत हुआ करते है और क्षेत्रीय वासियों को लोकगीत पर नाज़ होता है.वही क्षेत्रीय पर्व त्योहारो पर लोक गीत गाए जाते है.झारखण्ड में भी विभिन्न समुदायों में लोकगीत काफी प्रचलित है क्योकि लोकगीत गाकर ही लोग पर्व-त्यौहार में सांस्कृतिक के अनुसार नाच-गान कर तनाव मुक्त रहते है और खुशियाँ मनाते है।लेकिन लोग आज लोक गीत गाने को शर्म महसूस करते है वही लोग अपनी सांस्कृतिक को भूलते जा रहे है.इसलिए लोक गीतों को जिन्दा रखने के लिए झारखंडी सरकार की ओर से भी पहल होने की जरुरत है क्योकि यदि इसके लिए उचित पहल नहीं की गई तो आने वाले दिनों में लोकगीत प्रायः विलुप्त हो जायेंगे।