दोस्तों, हमारे आपके बीच ऐसी महिलाओं के बहुत से उदाहरण हैं, पर उन पर गौर नहीं किया जाता. अगर आपने गौर किया है तो हमें जरूर बताएं. साथ ही वे महिलाएं आगे आएं जो घंटों पानी भरने और ढोने का काम करती हैं. उनका अपना अनुभव कैसा है? वे अपने जीवन के बारे में क्या सोचती हैं? क्या इस काम के कारण उनका जीवन नरक बन रहा है? क्या वे परिवार में पानी की आपूर्ति के चक्कर में अपना आत्मसम्मान खो रही हैं? क्या कभी ऐसा कोई वाक्या हुआ जहां पानी के बदले उनसे बदसलूकी की गई हो, रास्ते में किसी तरह की दुर्घटना हुई हो या फिर किसी तरह के अपशब्द अपमान सहना पडा?

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बिहार राज्य के नालंदा जिला के ख़ुशी जीविका महिला संघ की सीएनआरपी पद पर कार्यरत सारो देवी मोबाइल वाणी के माध्यम से ये बताना चाहती है कि वे हुसैना पंचायत में 14 भीवो आँगनबाड़ी केंद्र में टीकाकरण के सम्बन्ध में जाती है और दीदियों को दीदी ने परिवार नियोजन के बारे में बताती हैं कि हम दो हमारे दो कम बच्चे सुखी परिवार है इन सब बातों को बताती हैं। उनके भी तीन बच्चे है और वह अपने बच्चों में कोई फर्क नहीं करती हैं। सभी बच्चो को अच्छी से अच्छी शिक्षा दे रही हैं। उन्होंने ने बताया की अपने बच्चों को शिक्षित करने के जीविका से ऋण ली थी

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