बसंत का आगाज पलास के फूल साथियों बसंत की सुरुवात हो चुकी है और मेरे गांव से लगे खेतों की मेड़ पर पलास को फूल आना सुरु हो रहा है। तो आज मोबाइल वाणी पर हम बात करते हैं पलास के पेड़ और फुलों पर (पलास, छूल, परसा, ढाक, टेसू, किंशुक, केसू) एक वृक्ष है. इसके फूल बहुत ही आकर्षक होते हैं. भारतीय मास माघ और फागुन में यह केसरी फूलो की बहार में पूरा ढंक जाता है । और वनश्री की शोभा में अनेरी बहार ला देता है । इसके आकर्षक फूलों के कारण इसे "जंगल की आग या flame of forest" भी कहा जाता है. पलाश का फूल उत्तर प्रदेश और झारखण्ड का राज्य पुष्प है. यह पेड़ मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र में पाये जाते हैं । पलाश के पेड़ का हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है. हिंदू धर्म में धार्मिक अनुष्ठानों में पलाश के पत्ते, लकड़ी और फूलों का उपयोग किया जाता है. पलाश के फूल, बीज और गोंद का इस्तेमाल कई बीमारियों को ठीक करने में किया जाता है. पलाश के फूलों का अर्क शरीर की सूजन में आराम दिलाता है. पलाश की गोंद एसिडिटी कम करने में और शक्ति बढ़ाने में मदद करता है. यह मुखरोग तथा खाँसी में फायदेमंद होता है. पत्ते सूजन कम करने में तथा वेदना को कम करने वाला होता है.

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बदला मौसम गरज चमक के साथ बौछारें, गिरे ओले

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आज सुबह छाएंगे बादल, फिर आएगी धूप

छिंदवाड़ा के मौसम में सुधार

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छिंदवाड़ा के इलाकों में हुई ओलावृष्टि किसानों को हुआ नुकसान

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