जिले के सरकारी विद्यालयों समेत कॉलेजों में 11वीं की वार्षिक परीक्षा की शुरूआत बुधवार से हो गई। परीक्षा में लगभग 42 हजार छात्र-छात्राएं शामिल हो रहे हैं। परीक्षा दो पालियों में आयोजित की जा रही है। प्रथम पाली की परीक्षा सुबह दस बजे से दिन के एक बजे तक संचालित हुई। जबकि द्वितीय पाली की परीक्षा दिन के दो बजे से शाम पांच बजे तक आयोजित की गई।

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मैं सामुदायिक संवाददाता आशीष कुमार साथियों आज बहुत ही खुशी की बात है कि सरस्वती पूजा है सभी छात्र लोग इस पूजा को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं लेकिन लगातार बारिश होने से छात्र लोगों को चेहरे पर दिखा गया मायूसी l

मैं प्रिंस कुमार न्यूज़ एक्सप्रेस रोहतास में आप सभी को स्वागत है मैं छात्रा से बात किया उन लोगों का छात्रवृत्ति प्रोत्साहन राशि एवं टूर घूमने के लिए पैसा नहीं आया है जिससे छात्र काफी निराश नजर आ रहे हैं।

जी हां साथियों आपको बता दे कि कल 1 फरवरी दिन गुरुवार से इंटरमीडिएट की परीक्षा शुरू होने वाली है ऐसे में आज जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर में एक मीटिंग रखा गया; जिस मीटिंग में जिले के सभी केंद्र अधीक्षक पहुंचे आपको बता दे की कल से होने वाले इंटरमीडिएट की परीक्षा में सासाराम में कुल 24 केंद्र बनाए गए हैं जबकि डेहरी में कुल 15 केंद्र बनाए गए हैं, वहीं पूरे जिले में लगभग 60000 की संख्या में इंटरमीडिएट के छात्र परीक्षा देंगे, वही इसको लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी कुमार गौरव ने सभी केंद्र अधीक्षकों को निर्देश दिया कि छात्रों की सघन जांच की जाएगी और अगर कोई छात्र चिट पुर्जा लेकर जाता है तो उसको निष्कासित किया जाएगा उक्त बातें जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा सभी केंद्र अध्यक्ष को और उपअधीक्षकों को कही गई वहीं आपको बता दे कि इस बार छात्र जूता मौज पहनकर परीक्षा दे सकते हैं! भाई आपको बता दे कि आज चेनारी बस स्टैंड से लगभग हजारों की संख्या में छात्र जिले के विभिन्न अनुमंडल क्षेत्र के तरफ जहां परीक्षा केंद्र बनाया गया है वहां रवाना हुए!

2016 में 14% छात्र औपचारिक शिक्षा से बाहर थे जो कि देश में 2023 में भयानक सुधार होने के बाद भी अब मात्र 13.2 फीसद बाहर हैं ... 2016 में 23.4 फीसद अपनी भाषा में कक्षा 2 का पाठ नहीं पढ़ पाते थे आज 2023 में अति भयानक सुधार के साथ ये आंकड़ा 26.4 प्रतिशत है ... देश के आज भी 50 फीसद छात्र गणित से जूझ रहे हैं ... मात्र 8 साल में गणित में हालात बद से बदतर हो गए ... 42.7% अंग्रेजी में वाक्य नहीं पढ़ सकते हैं... अगर आप सरकार से जवाब माँगिए , तो वे कहती है कि वो लगातार बैठकें कर रहे हैं लेकिन असर की रिपोर्ट बताती है कि ये बैठकें कितनी बेअसर हैं... तो विश्व गुरु बनने तक हमें बताइये कि *-----आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? *-----वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? *-----और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ?

हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।

लड़कियों के सपने सच में पुरे हो , इसके लिए हमें बहुत सारे समाजिक बदलाव करने की ज़रूरत है। और सबसे ज्यादा जो बदलाव की ज़रूरत है, वो है खुद की सोच को बदलने की। शिक्षा महिलाओं की स्थिति में बड़ा परिवर्तन ला सकती है लेकिन शिक्षा को लैंगिक रूप से संवेदनशील होने की जरूरत है। गरीब और वंचित समूह के बच्चों को जीवन में शिक्षा में पहले ही सीमित अवसर मिलते हैं उनमें से लड़कियों के लिए और भी कम अवसर मिलते हैं, समान अवसर तो दूर की बात है। सरकारी स्तर पर जितने ही प्रयास किये जा रहे हों, यदि हम समाज के लोग इसके लिए मुखर नहीं होंगे , तब तक ऐसी भयावह रिपोर्टों के आने का सिलसिला जारी रहेगा और सही शौचालय न होने के कारण छात्राओं को मजबूरी में स्कूल छोड़ने का दर्द सताता रहेगा। तब तक आप हमें बताएं कि *----- आपके गांव में सरकारी स्कूल में शौचालय है, और क्या उसकी स्थिति कैसी है? *----- क्या आपको भी लगता है कि सरकारी स्कूल में शौचालय नहीं होने से लड़कियों की शिक्षा से बाहर होने का बड़ा कारण है *----- शौचालय होने और ना होने से लड़कियों की शिक्षा किस प्रकार प्रभावित हो सकती है?

दोस्तों, भारत के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट से यह पता चला कि वर्तमान में भारत के करीब 6.57 प्रतिशत गांवों में ही वरिष्ठ माध्यमिक कक्षा 11वीं और 12वीं यानी हायर एजुकेशन के लिए स्कूल हैं। देश के केवल 11 प्रतिशत गांवों में ही 9वीं और 10वीं की पढ़ाई के लिए हाई स्कूल हैं। यदि राज्यवार देखें तो आज भी देश के करीब 10 राज्य ऐसे हैं जहां 15 प्रतिशत से अधिक गांवों में कोई स्कूल नहीं है। शिक्षा में समानता का अधिकार बताने वाले देश के आंकड़े वास्तव में कुछ और ही बयान करते हैं और जहां एक तरफ शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति समाज की प्रगति का संकेत देती है, वहीं लड़कियों की लड़कों तुलना में कम संख्या हमारे समाज पर प्रश्न चिह्न भी लगाती है? वासतव में शायद आजाद देश की नारी शिक्षा के लिए अभी भी पूरी तरह से आजाद नहीं है। तब तक आप हमें बताइए कि * ------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने लाइन में खड़ी है ? * ------आपके हिसाब से लड़कियाँ की शिक्षा क्यों नहीं ले पा रहीं है ? लड़कियों की शिक्षा क्यों ज़रूरी है ? * ------साथ ही लड़कियाँ की शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है ?

आज मैंने कड़ी संख्या -10 कहा हैं हमारे शिक्षक सुना l मुझे बहुत ही अच्छा लगा l