भारतीय संस्कृति में दीपावली घी के दिये जला कर मनाने की परम्परा चली आ रही है. इस परम्परा को जीवित रखते हुए दीया प्रज्ज्वलित कर दीपावली मनावें. इधर देखा जाता है कि दीपावली में पटाखे फोड़ कर व आतिशबाजी कर ख़ुशी का इजहार कर रहे हैं. जो नीति व कानून सम्मत नहीं है. वायु प्रदूषण इस कदर है कि लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है. प्रदुषण के कारण विभिन्न प्रकार की बिमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है, औषत उम्र घट रहा है. प्रदूषण से मरने वालों की संख्या बढ़ रही है. ऐसी स्थिति में दीपावली पर पटाखे फोडना उदंडता व आत्मघाती है और सामूहिक क्षति का सामना करना पड़ता है. पटाखों से प्रति वर्ष जान माल की खतरा होते रहती है. स्थल पर गंदगी फैलाने व पर्यावरण को प्रदूषित करने वालों पर कानून की धारा लगा कर कार्रवाई करने का प्रावधान है. पटाखों से परहेज करने की आवश्यकता है. ताकि पर्यावरण प्रदूषित न हो और जान माल की भी क्षति न हो. साथ ही पैसे की भी बचत हो जाएगी. पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए हम सबों को पेड़ लगाना चाहिए. प्रत्येक दीपावली में पेड़ लगाने की परम्परा को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है. सब चीजों को सरकार के हिस्से में न छोड़ कर हम सब अपने नैतिक दायित्व का निर्वहन करना चाहिए