दोस्तों, गरीबी के खिलाफ भारत की लड़ाई में महिला भूमि अधिकार एक निर्णायक कदम साबित हो सकता है। यह केवल संपत्ति का हस्तांतरण नहीं, बल्कि शक्ति का हस्तांतरण है। तब तक आप हमें बताइए कि , *---- क्या आपको लगता है कि महिलाओं के नाम जमीन होने से परिवार की आय बढ़ती है? अपना अनुभव बताएं। *---- आपके गाँव में महिलाओं को जमीन के कागज़ात मिलने से किस तरह के बदलाव आए हैं? *---- क्या आपके परिवार या समुदाय में ऐसी कोई महिला है, जिसकी ज़िंदगी जमीन मिलने के बाद बदली हो?

ज़मीन मिलने के बाद विमला ने अपनी जरूरतों और नए तरीकों को अपना कर खेती का नक्शा ही बदल दिया है- क्योंकि अब वह सिर्फ मज़दूर नहीं, एक किसान है। इस विषय पर आप क्या सोचते हैं, महिलाएं अपने हक को कैसे हासिल कर सकती हैं. क्या आप नहीं चाहते की आपके आस पास विमला जैसी कई महिलाएं हों? मुझे उम्मीद है कि आप निश्चित देखना चाहते हैं. तो आप हमें बताइये आप अपने इलाके में कैसे अनेकों विमलाएं बनाएंगे उनको उनका भूमि अधिकार देकर आपकी राय इसके उलट भी हो सकती है. इसलिए पक्ष-विपक्ष के इस कार्यक्रम में अपनी राय ज़रूर रिकॉर्ड करें हमें बताएं कि आप इस मसले पर क्या सोचते हैं. राय रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं अपने फोन से तीन नंबर का बटन दबाकर या फिर मोबाईलवाणी के जरिए.

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के पद्मा ब्लॉक से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिला सशक्तिकरण की कई चुनौतियाँ हैं। पहली चुनौती है - समाज में गहरी जड़े जमा चुकी पितृ सतात्मक सोच महिलाओं को द्वितीय श्रेणी का नागरिक मानती है और यह बड़ी बात बनी हुई है। दूसरी चुनौती है - सुरक्षा समबंधी चिंताएं। इसमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न की घटनाएं अभी भी गंभीर मुद्दा एवं चिंता का विषय है। तीसरा चुनौती है - भेदभाव।इसमें कार्यस्थल और अन्य सामाजिक क्षेत्रों में भेदभाव जारी है

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के पद्मा ब्लॉक से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि राजनीतिक में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है।जो स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं के भागीदारी को बढ़ावा देने का प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें स्वास्थ्य और सुरक्षा का भी शामिल किया गया है।जैसे मातृ मृत्यु दर में कमी और संस्थागत प्रस्ताव में वृद्धि हुई है।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के पद्मा ब्लॉक से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिला सशक्तिकरण के प्रमुख पहलू कुछ इस प्रकार है।पहला पहलू है -शिक्षा और जागरूकता। इसके अंतर्गत 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' जैसी योजनाओ के द्वारा लड़कियों के साक्षरता दर में वृद्धि हुई है।जो समाज में महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। दूसरा पहलू है - आर्थिक सशक्तिकरण।इसमें सरकारी योजना जैसे की मुद्रा योजना इसके माध्यम ऐसी महिलाओं को सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्योगों को ऋण और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के पद्मा ब्लॉक से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत में महिला सशक्तिकरण का लक्ष्य महिलाओं को सामाजिक आर्थिक और राजनितिक रूप से समान अवसर और शक्ति प्रदान करना है।इसके लिए शिक्षा,स्वास्थ्य,रोजगार और राजतिनिक भागीदारी को बढ़ावा देना है

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला से राज कुमार मेहता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि सामाजिक दबाव और प्रचलित सांस्कृतिक प्रथाएं भूमि पर अपने अधिकार का दावा करने से रोकती है। यदि संपत्ति उनके नाम पर है तो चाहे वह उनके माता या पिता के पक्ष में हो या उनके ससुराल पक्ष में हो महिलाओं को उनका हिस्सा भाई या परिवार के किसी अन्य पुरुष के पक्ष में देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला से राज कुमार मेहता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि भारत में महिलाओं को भूमि पर अधिकार होना चाहिए क्योंकि ये उनकी सशक्तिकरण लैंगिक समानता और आर्थिक स्थिरता के लिए आवश्यक है। हालांकि कानून के साथ अब बेटियों को पिता के पैतृक संपत्ति में बेटो के बराबर अधिकार मिलता है और महिला द्वारा खरीदी गई या उपहार में मिली सम्पत्ति पूरी तरह उनकी होती है और भूमि अधिकार से महिलाओं को बेहतर पोषण ,शिक्षा और सामुदायिक निर्णय लेने में तमाम शक्ति मिलती है।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला से राज कुमार मेहता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि महिलाओं को सशक्त बनाना जरूरी है। बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ पहलों के कारण साक्षरता दर बढ़ रही है। महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम और योजनाएं चलाई जा रही है

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