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झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से टेक नारायण प्रसाद कुशवाहा ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि प्रोफ़ेसर जयप्रकाश वर्मा गर्म जोशी के साथ जन संपर्क अभियान चला रहे हैं। इस क्रम में कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भारी भीड़ देखी जा रही है।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से गीता देवी ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा कार्यक्रताओं की बैठक संपन्न हुई। जिसमें कई बिंदुओं पर चर्चा की गई

ईडी गठबंधन धर्म के आधार पर तुष्टिकरण की राजनीति करके देश को तोड़ना चाहती है

प्रधानमंत्री एक बहुत ही प्रतिष्ठित पद है और उस पद की प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए अनावश्यक बयानबाजी नहीं की जानी चाहिए। चुनाव आयोग को इस पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।चाहे वह पार्टी के नेता हों या विपक्ष के, चाहे वह सत्ता में हों या सत्ता से दूर, हर किसी पर कार्रवाई होनी चाहिए। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

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दोस्तों, प्रधानमंत्री के पद पर बैठे , किसी भी व्यक्ति से कम से कम इतनी उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि उस पद पर बैठने वाला व्यक्ति पद की गरिमा को बनाए रखेगा। लेकिन कल के भाषण में प्रधानमंत्री ने उसका भी ख्याल नहीं रखा, सबसे बड़ी बात देश के पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ खुले मंच से झूठ बोला। लोकतंत्र में आलोचना सर्वोपरि है वो फिर चाहे काम की हो या व्यक्ति की, सवाल उठता है कि आलोचना करने के लिए झूठ बोलना आवश्यक है क्या? दोस्तों आप प्रधानमंत्री के बयान पर क्या सोचते हैं, क्या आप इस तरह के बयानों से सहमत हैं या असहमत, क्या आपको भी लगता है कि चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जाना अनिवार्य है, या फिर आप भी मानते हैं कि कम से कम एक मर्यादा बनाकर रखी जानी चाहिए चाहे चुनाव जीतें या हारें। चुनाव आयोग द्वारा कोई कार्रवाई न करने पर आप क्या सोचते हैं। अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाइलवाणी पर।

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2024 के आम चुनाव के लिए भी पक्ष-विपक्ष और सहयोगी विरोधी लगभग सभी प्रकार के दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिये हैं। सत्ता पक्ष के घोषणा पत्र के अलावा लगभग सभी दलों ने युवाओं, कामगारों, और रोजगार की बात की है। कोई बेरोजगारी भत्ते की घोषणा कर रहा है तो कोई एक करोड़ नौकरियों का वादा कर रहा है, इसके उलट दस साल से सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल रोजगार पर बात ही नहीं कर रहा है, जबकि पहले चुनाव में वह बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर ही सत्ता तक पहुंचा था, सवाल उठता है कि जब सत्ताधारी दल गरीबी रोजगार, मंहगाई जैसे विषयों को अपने घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बना रहा है तो फिर वह चुनाव किन मुद्दों पर लड़ रहा है।