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हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

जल ही जीवन है। यह पंक्तियाँ हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। आज के समय में जब दुनिया शुद्ध जल की कमी से जूझ रही है, यह पंक्तियाँ और सार्थक हो जाती हैं। भारत में जल संकट लगातार गहराता जा रहा है। कई राज्य हैं जो भूजल की कमी के चरम बिंदु को पार कर चुके हैं। हर साल 22 मार्च के दिन विश्व जल दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमारे जीवन में जल के महत्व और उसके संरक्षण को समर्पित है।इस विश्व जल दिवस पर पानी की बर्बादी को रोके और जल को प्रदूषित होने से बचाये। मोबाइल वाणी के पुरे परिवार की ओर से आप सभी को विश्व जल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

अंधराठाढ़ी के सखी संस्था परिषद में कार्यक्रम की शुरुआत अतिथिगण द्वारा दीप प्रज्वलित करते हुए उत्तरी बिहार में आधार भूमि और जल स्रोतों की अधिकता के बावजूद भूमिका चयन होना और उसका उपयोग पर सेमिनार का आयोजन किया गया सखी संस्था के सचिव सुमन सिंह ने बताया है की क्षेत्र के विकास हेतु एक राष्ट्रीय स्तर की आद्र भूमि अनुसंधान केंद्र बनाने की आवश्यकता है जो जल जैसे अमूल्य प्राकृतिक संसाधनों से अधिक उत्पादकता देकर क्षेत्र में खुशहाली ला सके और पर्यावरण सुरक्षित रखें यह बातें सखी संस्था द्वारा आयोजित एकदिवसीय कार्यशाला ग्रामीण महिलाओं के लिए मानवाधिकार जागरूकता पर आयोजित कार्यशाला में ख्याति प्राप्त कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर जनार्दन ने कही ज्ञात भी हो कि पूरे देश में आधार भूमि विकास हेतु कोई शोध संस्थान नहीं है जिन कारण इन क्षेत्रों का क्रमिक ह्रास हो रहा है सखी संस्था की संचारी का श्रीमती सुमन सिंह ने संस्था की विकासात्मक गतिविधियों एवं महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु चल रहे कार्यक्रमों की विश्व की जानकारी दी कार्यक्रम का समापन सुश्री रश्मि सिंह के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।

साथियों गर्मी का मौसम आने वाला है और इसके साथ आएगी पानी की समस्या। आज की कड़ी में लाभार्थी रोहित से साक्षात्कार लिया गया है जो जल संरक्षण पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है।

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साथियों गर्मी का मौसम आने वाला है और इसके साथ आएगी पानी की समस्या। आज की कड़ी में हम आपको बता रहे है कि बरसात के पानी को कैसे संरक्षित कर भूजल को बढ़ाने में हम अपना योगदान दे सकते है। आप हमें बताइए गर्मियों में आप पानी की कौन से दिक्कतों से जूझते हैं... एवं आपके क्षेत्र में भूजल कि क्या स्थिति है....

नमस्कार , आप सुनह हैं । मधुनी मालवानी ने काजल कुमारी को बताया कि मधुबानी पहले से ही पानी की समस्या का सामना कर रही है , जिसके कारण लोगों को बहुत परेशानी हो रही है । चापा एक साल से पानी नहीं दे रहा है ।

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