"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा फसल बुवाई से पूर्व बीज उपचार से लाभ के बारे में जानकारी दे रहे हैं। विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

भारतीय संविधान किसी के आर्टिकल 14 से लेकर आर्टिकल 21 तक समानता की बात कही है, इस समानता धार्मिक आर्थिक राजनीतिक और अवसर की समानता का जिक्र किया गया है। इस समानता किसी प्रकार की जगह नहीं है और किसी को भी धर्म, जाति और समंप्रदाय के आधार पर कोई भेद नहीं किये जाने का भी वादा किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार के हालिया फैसले में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि वह धर्म की पहचान के आधार भेदभाव पैदा करने की कोशिश है।दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? क्या आप सरकार के फैसले के साथ हैं या फिर इसके खिलाफ, जो भी हो इस मसले पर आपकी क्या राय है? आप इस मसले पर जो भी सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ जीव दास साहू ,ज्वार के फसल में लगने वाले रोग और किट नियंत्रण की जानकरी दे रहे हैं। ज्वार के फसल से जुड़ी कुछ बातें किसानों को ध्यान में रखना ज़रूरी है। इसकी पूरी जानकारी सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा धान की सीधी बुवाई तकनीक से होने वाले कई लाभ के बारे में जानकारी दे रहे हैं। विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

दोस्तों, एक बार फिर से उन्हीं दिनों को जीने की कोशिश करते हैं अपने बच्चों के संग उनके बचपन को एक त्यौहार की तरह मनाते हुए हंसते हुए, खेलते हुए, शोर मचाते बन जाते हैं उनके दोस्त और जानने की कोशिश करते हैं इस बड़ी सी दुनिया को उनकी आंखों से | घर और परिवार ही बच्चों का पहला स्कूल है और माता पिता दादा दादी और अन्य सदस्य होते हैं उनके दोस्त और टीचर हो. साथ में ये भी कि बच्चों के दिमाग का पचासी प्रतिशत से अधिक विकास छह वर्ष की आयु तक हो जाता है.

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आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे और जानेंगे समूह व बैंक ,माइक्रो फाइनेंस समूह से लोन लेने से जुड़ी जानकारी..

लाखों की लागत से बने आरआरसी सेंटर, फिर भी कूड़े का अंबार।। रुपया खर्च होने के बाद भी सरकार की मंशा पर पूरी तरह से पानी-पानी । ब्लॉक जलालाबाद में 52 ग्राम पंचायत में आरआरसी सेंटर बनने के लिए आए थे अभी 40 गांव में आरआरसी सेंटर तैयार हुआ। विकासखंड जलालाबाद के गांवों में ठोस कचरा प्रबंधन के लिए स्वच्छता संसाधन केंद्र (आरआरसी सेंटर) का निर्माण करीब एक साल पहले कराया जा चुका है। आरआरसी। विकासखंड जलालाबाद में गांवों मे ठोस कचरा प्रबंधन के लिए स्वच्छता संसाधन केंद्र (आरआरसी सेंटर) का निर्माण करीब एक साल पहले कराया जा चुका है। आरआरसी सेंटर का निर्माण चार से छः लाख रुपये की लागत कराया गया, लेकिन सरकार की गांवों को साफ- सुथरा रखने की मंशा पर पानी फिर रहा है। मॉडल गांवों का कूड़ा आरआरसी सेंटर न पहुंचकर गांवों की गलियों में बिखरा पड़ा रहता है। जलालाबाद ब्लॉक मे वित्तीय वर्ष 2022-23 में सात व 2023-24 में 52 ग्राम पंचायतों को मॉडल गांव के रूप में चयनित किया गया। इन गांवों को इंटर लॉकिंग, नाला/नाली निर्माण, स्वच्छ शौचालय,कायाकल्प के साथ-साथ गांव को स्वच्छ बनाये रखने के लिये अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र (आरआरसी सेंटर) का निर्माण चार से छह लाख रुपये की लागत से कराया गया। अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र में सूखा कूड़ा, गीला कूड़ा, प्लास्टिक कूड़ा, कांच का कूड़ा, पालीथिन का कूड़ा, गोबर का कूड़ा फेंकने के लिए अलग-अलग चेबंर का अगला निर्माण किया गया है। इनमें ब्लॉक क्षेत्र के मॉडल गांव नारा, खंण्डहर, रामपुर , हरेवा, इमलिया बुजुर्ग,सिकंदरपुर अफगान, खजुआ टॉपर, मालूपुर, जिग्नेहरा, रामपुर बझेड़ा, ठिंगरी, मिंगोल, चौखुटिया, चौकी आजमपुर, नूरपुर कराहीई, गुरुगांव, विचोला,पल्हरई, मनोरथपुर सेसै वारी , फरीदपुर, नगरिया बुजुर्ग, थाथारमई , मंगटोरा ,जवई पड़ी समेत 40 गांव शामिल हैं। इन गांवों की गलियों में जगह-जगह कूड़े व गंदगी का ढेर लगा हुआ है। गांव का कचरा आरआरसी सेंटर तक नहीं पहुंच रहा है। इससे लाखों रुपया खर्च होने के बाद भी सरकार की मंशा पर पूरी तरह से पानी-पानी । वही अभी 12 गांव में आरआरसी सेंटर निर्माणाधीन जिन पर कार्य चल रहा है सरकार की लाखों रुपए की योजना पर ग्राम पंचायत अधिकारी और प्रधान मिलकर पानी फेर रहे हैं।

जलालाबाद क्षेत्र में एफसीआई की मिली भगत से कोटेदार के पास वितरण के लिए पहुंचा सड़ा हुआ अनाज,उपभोक्ताओं में रोष. बहीं सरकार द्वारा राशन कार्ड धारकों को शुद्ध गेहूं और चावल देने का दावा करती सरकार।। बही शाहजहांपुर में एफसीआई आरएफसी के कर्मचारी सड़ा और गला मिट्टी मिल गेहूं चावल देते हैं।। शाहजहांपुर /जलालाबाद क्षेत्र में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान ब्रह्मानं, प्रताप नगर व मऊ शाहजहांपुर जो वितरण के लिए गेहूं भेजा गया है उसमें अधिकांश बोरों में सड़ा हुआ गेहूं भरा हुआ है मिट्टी मिली हुई है. इसी प्रकार चावलों में भी कीड़े रेंग रहे हैं जिसे उपभोक्ता लेने से मना कर रहे हैं।इससे कोटेदारों की परेशानी बधी हुई है कोटेदारों का कहना है हमें ऊपर से सड़ा हुआ गला दिया गया है। जानकारी के अनुसार सड़ा हुआ गला कोटेदारों तक पहुंचने में एफसीआई गोदाम के कर्मचारी, एवं गाला पहुंचने वाले ठेकेदार उसके एक खास गौरव पालीवाल का हाथ बताया जा रहा है. वहीं उपभोक्ताओं ने बताया उनको ऐसा गला दिया जा रहा है जिसको जानवर भी नहीं खाएंगे अधिकतर उपभोक्ताओं ने गला लेने से ही मना कर दिया है और सरकार के प्रति रोष व्यक्त किया है। वही आरएफसी गोदाम से एस एम ई आरके दुबे से बात की तो उनका कहना है की एफसीआई से गला भीगा हुआ लोड हुआ था जो राशन कोटेदारों को दिया गया है वह हम वापस करवा लेंगे दो-तीन लोगों की शिकायतें हमारे पास आई थी। जो कि हमने उन लोगों से कहा कि इस सड़े हुए राशन की जांच करा कर हम बह राशन वापस ले लेंगे एस एम ई आरएफसी गोदाम शाहजहांपुर में आरके दुबे तैनात हैं जो यह राशन ट्रैकों में लोड करने का कार्य करते हैं यह सब आरएफसी एफसीआई गोदाम के कर्मचारी या मैनेजर दोनों की मिली भगत से कोटेदारों को सड़ा गला चावल और गेहूं दिया जाता है।। यह गला आरएफसी सेंट्रो से सत्ता गेहूं खरीदा गया था वही गला अब इशू कर दिया गया है जो सड़ा गला बचा हुआ था, लास्ट में से आरएफसी एफसीआई दोनों गोदाम की मिली भगत से सड़ा गला कोटेदारों को जलालाबाद में करीबन 35 कटे 86 कटे ऊंशाहजहांपुर कट्टे सड़े गले ठेकेदार द्वारा भिजवा दिए जाते हैं। वही कोटेदार उसका जवाब उठाते हैं ठेकेदार आरएफसी के कर्मचारियों द्वारा तो उनको धमकाया जाता है। क्योंकि वह भी घाटतोली के शिकार होते हैं। इसीलिए कोटेदार जिक्र नहीं करते हैं।। वहीं अब कोटेदारों को इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है कि उन्हें गोदाम से सड़ा गला ठेकेदार द्वारा पानी से भीग राशन दिया जाता है और सड़ा गला भी जो की जानवर भी खा तो मर जाए उसमें कीड़े और काला गेहूं पड़ गया है।।