प्रश्न०. #दुनिया का सबसे #हिंसक और #खतरनाक कुत्ता किस प्रजाति का है और कहां पाया जाता है,.? उत्तरo.दुनिया का सबसे #हिंसक और #खतरनाक कुत्ता है #रॉटविलर. जोकि गुस्सा आने पर शेर तक से भी लड़ने की और जीतने की हिम्मत रखता है। #dogsnews

कुछ तस्वीरें स्वयं में पूरा महाकाव्य होती हैं। उससे आंख नहीं हटती... इस महान योद्धा के बारे में आप जितना पढ़ेंगे, उतना ही आश्चर्य में डूबते चले जायेंगे। लगभग सौ युद्ध और अधिकांश में विजय! शरीर के हर अंग पर युद्ध के चिन्ह सजाए इस रणकेसरी को खंडहर कहा गया,सैनिकों का भग्नावशेष...जैसे रणचंडी ने उन्हें अपने हाथों से पुरस्कार स्वरूप घावों के आभूषण पहनाए हों... कल्पना कीजिये, एक योद्धा की एक आँख चली गयी और फिर भी वह लड़ता रहा। किसी दूसरे युद्ध में एक पैर नाकाम हो गया, वह फिर भी लड़ता रहा। किसी युद्ध में एक हाथ कट गया, वह फिर भी उसी उत्साह के साथ लड़ता रहा... जैसे युद्ध युद्ध नहीं, उसकी पूजा हो, तपस्या हो... अद्भुत है न? ऐसी अद्भुत गाथाएं भारत में ही मिलती हैं... ऐसे योद्धा यहीं जन्म ले सकते हैं। कुछ योद्धाओं की भूख प्यास युद्ध से ही तृप्त होती है। उन्हें न शरीर के घाव विचलित करते हैं, न परिस्थितियों की विकरालता रोक पाती है। युद्ध उनके लिए आनन्द का उत्सव होता है। राणा सांगा वैसे ही योद्धा रहे... राजस्थान से बाहर के अधिकांश लोग महाराणा सांगा को बाबर से मिली पराजय के लिए जानते हैं। यह वस्तुतः भारतीय शिक्षा व्यवस्था की पराजय है। महाराणा को याद किया जाना चाहिये दिल्ली सल्तनत के इब्राहिम लोदी को दो दो बार हराने के लिए। उन्हें याद किया जाना चाहिये गुजरात सल्तनत वाले मुजफ्फर शाह को पराजित करने के लिए। उन्हें याद किया जाना चाहिये मालवा के शासक महमूद खिलजी को पराजित कर तीन महीने तक बांध कर रखने के लिए... उन्हें याद किया जाना चाहिये मालवा से जजिया समाप्त करने के लिए, बयाना के युद्ध में बाबर को पराजित करने के लिए... उन्हें याद किया जाना चाहिये बर्बर आतंकियों के विरुद्ध भारतीय शक्तियों का एक मजबूत संघ बनाने के लिए। पर क्या उनका नाम सुनते ही आपको इन युद्धों की याद आती है? नहीं आती होगी... महाराणा सांगा की मृत्यु की कहानी भी अद्भुत ही है। कहते हैं कि उन्हें उनके सामंतों ने ही विष दे दिया। क्यों? क्योंकि खानवा के युद्ध में बाबर से पराजित होने के तुरंत बाद ही उन्होंने पुनः युद्ध की तैयारी शुरू कर दी थी। वह भी तब,जब उनका शरीर पूरी तरह से जर्जर हो चुका था। सामंत यह मानते थे कि अब इस युद्ध का कोई अर्थ नहीं,यह पराजय और सम्पूर्ण नाश का कारण बनेगा। जाने क्यों, मुझे इसपर भरोसा नहीं होता, किंतु यदि यह कहानी सच है तो क्या ही जुनून रहा होगा उनका... बुरी तरह घायल होने और सेनाविहीन हो जाने के बाद भी युद्ध में उतर जाने का साहस युगों में किसी एक के भीतर होता है। किसी योद्धा को रोकने के लिए उसके प्रिय लोगों को ही उसे विष देना पड़े, तो आप उसकी भावनाओं का अंदाजा लगा सकते हैं। योद्धा का आकलन उसकी राजनैतिक/कूटनीतिक विजयों पराजयों से कम, उसके शौर्य से अधिक होना चाहिए। उसमें राष्ट्र के लिए लड़ने रहने का जुनून कितना है, उसके भीतर युद्धलालसा कितनी है... कोई भी राष्ट्र किसी एक युद्ध में हार जाने से समाप्त नहीं होता, राष्ट्र पराजित तभी होता है जब उसके नायकों का शौर्य चूक जाय। हजार वर्षों के संघर्ष की यात्रा में भारत अनेक युद्ध हारा है,पर उसके नायक शौर्य की कसौटी पर कभी भी असफल नहीं हुए... और यही कारण है कि भारत हार कर भी नहीं हारा... #IncredibleIndia #top #mahadev #explorepage #Amazing #इतिहास #रिपोस्ट #बुद्धिजीवी #संगठितहिन्दूश्रेष्ठभारत #ट्रेंडिंग #भारत #knowledge #एक_शब्द #सनातनधर्म #प्रसंग #विचारणीय #साभार #history #सांगा #दाहिर #highlights #गजबे #ATYourSpace #top #invedars #TalkToUs #everyone #hindustan #beauty #happy

किसी की थाली तो किसी का निशान लोटा ढाई घाट मेले में

प्रश्न : भारत की राष्ट्रीय सब्जी क्या है,..?? उत्तर : भारत की राष्ट्रीय सब्जी कद्दू अर्थात सीताफल है,कई गावों में इसे कदुआ,लौका आदि नामों से भी जाना जाता है।।

हमारे बुजर्ग हम से वैज्ञानिक रूप से बहुत आगे थे। थक हार कर वापिश उनकी ही राह पर वापिश आना पड़ रहा है। 1. मिट्टी के बर्तनों से स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों तक और फिर कैंसर के खौफ से दोबारा मिट्टी के बर्तनों तक आ जाना। 2. अंगूठाछाप से दस्तखतों (Signatures) पर और फिर अंगूठाछाप (Thumb Scanning) पर आ जाना। 3. फटे हुए सादा कपड़ों से साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़ों पर और फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ लेना। 4. सूती से टैरीलीन, टैरीकॉट और फिर वापस सूती पर आ जाना । 5. जयादा मशक़्क़त वाली ज़िंदगी से घबरा कर पढ़ना लिखना और फिर IIM MBA करके आर्गेनिक खेती पर पसीने बहाना। 6. क़ुदरती से प्रोसेसफ़ूड (Canned Food & packed juices) पर और फिर बीमारियों से बचने के लिए दोबारा क़ुदरती खानों पर आ जाना। 7. पुरानी और सादा चीज़ें इस्तेमाल ना करके ब्रांडेड (Branded) पर और फिर आखिरकार जी भर जाने पर पुरानी (Antiques) पर उतरना। 8. बच्चों को इंफेक्शन से डराकर मिट्टी में खेलने से रोकना और फिर घर में बंद करके फिसड्डी बनाना और होश आने पर दोबारा Immunity बढ़ाने के नाम पर मिट्टी से खिलाना.... 9. गाँव, जंगल, से डिस्को पब और चकाचौंध की और भागती हुई दुनियाँ की और से फिर मन की शाँति एवं स्वास्थ के लिये शहर से जँगल गाँव की ओर आना। इससे ये निष्कर्ष निकलता है कि टेक्नॉलॉजी ने जो दिया उससे बेहतर तो प्रकृति ने पहले से दे रखा था।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला शाहजहांपुर से आर. एन शर्मा, मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि मुख्य चौराहे जलालाबाद पर बना सामुदायिक शौचालय चौक नगर पालिका प्रशासन मौन है। लोगों को सौच करने जाने में परेशानी हो रही है।

भारत आज खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर है, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था, एक समय ऐसा भी देश खैरात में मिले अमेरिका के सड़े हुए गेहूं पर निर्भर था। देश की इस आत्मनिर्भरता के पीछे जिस व्यक्ति की सोच और मेहनत का परिणाम है मनकोम्बु संबासिवन स्वामिनाथन जिसे बोलचाल की भाषा में केवल स्वामीनाथन के नाम से जाना जाता था। कृषि को आत्मनिर्भर बनाने वाले स्वामीनाथन का 28 सितंबर 2023 को 98 साल की उम्र में निधन हो गया। उनका जन्म 7 अगस्त 1925, को तमिलनाडु के कुम्भकोण में हुआ था। स्वामीनाथन को देश में हरित क्रांति का जनक कहा जाता है, जिन्होंने देश की कृषि विकास में अहम योगदान माना जाता है। कृषि सुधार और विकास के लिए दशकों पहले दिए उनके सुझावों को लागू करने की मांग आज तक की जाती है। हालिया कृषि आंदोलन के समय जब देश भर के किसान धरने पर थे तब भी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग उठी थी, जिसे सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया, जबकि यह वही सरकार है जिसने चुनावों के पहले किसानों को वादा किया था कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का वादा किया था।