उत्तरप्रदेश राज्य के जिला सुल्तानपुर से फकरुद्दीन , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि हाल ही में हाथरस में हुआ था। जिसमें बाबा द्वारा एक धार्मिक सभा आयोजित की जा रही थी, उम्मीद से अधिक भीड़ जमा हो गई, जिसके कारण कुछ अंधविश्वास के कारण भगदड़ मच गई या लापरवाही के कारण आप इसे कुछ भी कह सकते हैं। उस भगदड़ में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। अब इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा, प्रशासन या बाबा जिन्होंने इस आयोजन का आयोजन किया, तो ऐसे आयोजन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाए या फिर जो कोई भी उस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है, तो उस कार्यक्रम की जिम्मेदारी पूरी तरह से तय होनी चाहिए कि अगर कोई दुर्घटना या घटना होती है, तो वह आयोजक या बाबा जो उस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से सेहनाज़ मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की लैंगिक असमानता का अर्थ है लिंगों के बीच अंतर करना, इस आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है, पारंपरिक रूप से महिलाओं को समाज में एक कमजोर वर्ग के रूप में रखा जाता है। घर और समाज दोनों में उसके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है और वह भेदभाव से पीड़ित होती है। महिलाओं के खिलाफ भेदभाव दुनिया के कई हिस्सों में प्रचलित है। भारतीय समाज में महिलाओं को घर के काम के लिए उपयुक्त माना जाता है।
उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से सेहनाज़ मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की कुपोषण एक ऐसी स्थिति है जो देश के किसी भी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आज के समय में भारत में कुपोषण। गरीबी की समस्या बनी हुई है, और भारत सरकार ने कई योजनाएं और जागरूकता अभियान शुरू किए हैं, और ऐसे कई कार्यक्रम होते हैं। जिसमें कुपोषण की समस्या को दूर किया जा सकता
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उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर से शहनाज़ मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि अब लोगों को मुफ्त में राशन नहीं मिलेगा। करना भी आवश्यक है। यदि परिवार का कोई व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर चला गया है या किसी की मृत्यु हो गई है, तो उन लोगों का नाम सरकार द्वारा राशन कार्ड से हटा दिया जाएगा। राशन कार्ड धारकों के लिए सरकार द्वारा कई नियम बनाए गए हैं। इसका मतलब है कि मुफ्त राशन प्राप्त करने में किसी भी तरह की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा, इसलिए जुलाई से राशन कार्ड में नए नियमों के बारे में जानना होगा। नए नियम लागू हो रहे हैं, देश में ऐसे कई परिवार होंगे।
उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरूद्दीन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पक्ष विपक्ष यह एक ऐसी श्रृंखला है जिसमें सभी लोगों को दोनों पक्षों को रखने का समान अवसर मिलता है। इसका अपना एक घोषणापत्र जारी किया गया था जिसे राजनीतिक दलों को प्रस्तुत किया गया था कि अगर आप हमसे वोट लेना चाहते हैं तो आपको हमारी इन मांगों को पूरा करना होगा। यह एक देश में एक नई क्रांति है। एक नई सोच की शुरुआत हुई है। जिससे की हम नागरिक भी अपने अधिकारों, अपनी जरूरतों को नेताओं के सामने, दलों के सामने रखेंगे, जो भी पक्ष हमारी मांगों को पूरा करने में अधिक सक्षम हो या हमारी मांगों को पूरा करने के लिए सहमत हो। हम इसके लिए मतदान करेंगे, यह एक बहुत अच्छी पहल है जो पूरे देश में क्रांति ला सकती है, इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि लोग अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होंगे, लोग अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होंगे, लोग सोचेंगे कि हम देश में क्रांति ला सकते हैं। हमारे इस क्षेत्र का विकास इसलिए किया जा सकता है क्योंकि हर जगह होने वाली समस्याएं अलग-अलग हो सकती हैं। कहीं सड़कों का निर्माण बहुत महत्वपूर्ण है, कहीं पानी है, कहीं बिजली है, इसलिए हर जगह की जरूरतें अलग-अलग हैं, इसलिए हर जगह की जरूरतें भी अलग-अलग हैं। अगर लोगों को छोटे समूहों में बांटा जाए, तो वे अपनी मांगें मांगेंगे और लोगों के नेताओं को अपनी मांगें सौंपेंगे, फिर छोटी-छोटी मांगें पूरी होने पर उन्हें इस तरह से छोटे-छोटे लिंक मिलेंगे।
उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फारूद्दीन खान मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिलाओं को पैतृक संपत्ति पर अधिकार होना चाहिए। इस बात पर चर्चा होती है कि उन्हें कई पहलुओं में अधिकार होने चाहिए या नहीं और दूसरी ओर, अगर इसे रिश्ते के दृष्टिकोण से देखा जाए,तो यह देखना उचित नहीं हो सकता है क्योंकि जब महिलाएं शादी करती हैं, तो उनके पिता और भाइयों को अपनी आजीविका कमाने के लिए कुछ सामान और कुछ चीजें मिलती हैं। ये सभी चीजें उन्हें उस समय उपहार में दी जाती हैं। न तो भाई और न ही उनके परिवार में से किसी ने उन्हें बताया कि इसमें मेरा हिस्सा है या जब उनकी पैतृक संपत्ति पर महिलाओं के अधिकारों की बात आती है तो उन्हें इतना क्यों दिया जा रहा है। यह महिलाओं की सोच है कि उनके भाइयों को उनकी पैतृक संपत्ति पर संपत्ति मिलनी चाहिए, वे उस पर अपना अधिकार नहीं खोना चाहती हैं, भारत जैसे देश में जमीन सबसे महंगी है। संबंधों को बहुत महत्व दिया जाता है, इसलिए महिलाएं पैतृक संपत्ति पर अपना अधिकार जमा नहीं करती हैं, बल्कि पूरी तरह से अपने भाइयों और भाइयों से और अपने पिता से प्राप्त करती हैं। यदि महिला का कोई भाई नहीं है या कोई नहीं है, तो वह संपत्ति का पूरा स्वामित्व लेती है, तो महिलाओं के लिए ऐसा करना उचित है
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला सुल्तानपुर से फकरुद्दीन , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि हमारे देश भारत में महिलाओं को भूमि पर बहुत कम महत्व दिया जाता है, यानी महिलाओं के नाम पर भूमि बहुत कम है। भूमि का स्वामित्व पुरुषों के पास है लेकिन अब आधुनिक समय में महिलाओं को भी भूमि पर पूरा अधिकार मिलना चाहिए और कई लोग अब धीरे-धीरे महिलाओं के नाम पर जमीन बना रहे हैं ताकि महिलाएं भी सशक्त हों और वे परिवार में हर तरह की भूमिका में दिखाई दें। अगर जमीन महिलाओं के नाम पर होगी तो महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा, महिलाओं का सशक्तिकरण भी होगा, परिवार के हर फैसले में महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा। महिलाओं को जमीन न मिलने की सबसे बड़ी समस्या परिवार है। जब महिलाएं शादी करती हैं, तो माता-पिता यही चाहते हैं, चाहे वह उनकी मां हो, पिता हो या भाई। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कौन है, हर कोई चाहता है कि महिला उस जमीन पर कोई अधिकार न दिखाए, ससुराल में सभी भूमि वहाँ के पुरुषों के नाम पर हैं या जब भी उनके पति कोई भूमि लेते हैं, तो वे उसे अपने पिता के नाम पर या फिर अपने-अपने नाम पर लेते हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से सेहनाज़ मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की लोकतांत्रिक प्रतिक्रियाओं और पूरे देश के लिए सत्ता को हटाने का विरोध किया। केंद्र सरकार या केंद्र सरकार नामक एक सरकार है, जो क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकारें बनाती है जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। भारत में, केंद्र और राज्य स्तरों पर स्थानीय सरकारें भी उनके बीच सत्ता के बंटवारे के संबंध में संविधान के रूप में कार्य करती हैं। यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि विभिन्न सरकारों के बीच शक्तियों का तनाव नहीं होना चाहिए।
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