उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरुद्दीन खान मोबाइल वाणी सुल्तानपुर के माध्यम से बता रहे है की महिलाएं आज भी पहचान की हकदार हैं, जो अपने नाम और अपने गाँव या अपने पति या अपने भाइयों से कम हैं। यह उनके पिता के नाम से बेहतर जाना जाता है, क्योंकि आज भारतीय राजनीति में महिलाओं के लिए तैंतीस प्रतिशत आरक्षण की बात होती थी और हो रही है।

उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरुद्दीन खान मोबाइल वाणी सुल्तानपुर के माध्यम से बता रहे है की राजीव की डायरी में मसाले के घातक साबित होने की बात की गई है जिसमें हाल ही में उदाहरण के लिए, हांगकांग में, भारत की दो सबसे बड़ी मसाला कंपनियों, एम . डी. एच. और एवरेस्ट ने कुछ मसालों पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि वे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक थे। इस वजह से उन्हें वहां प्रतिबंधित कर दिया गया है। लोगों से अपील की गई है कि वे इन मसालों का उपयोग न करें, क्या भारत में इन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए? अगर इससे वहां के लोगों को नुकसान होता है तो इससे यहां के लोगों को भी नुकसान होगा।

उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरूदीन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया' कि सरकारी योजनाओं को ध्वस्त किया जा रहा है और उनका निजीकरण किया जा रहा है, जिससे उन्हें खुले बाजार में छोड़ दिया जा रहा है, जिससे गरीबों को बहुत नुकसान हो रहा है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि जो कोई भी निजी व्यक्ति या निजी संस्थान है, वह अपने लाभ को देखेगा, न कि लोगों के लाभ को, जबकि जब भी सरकार कोई योजना बनाती है, जब भी वह कोई काम करती है। वह देखती हैं कि गरीब और आम लोग इससे कैसे लाभान्वित हो सकते हैं, और विशेष रूप से प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना और जननी सुरक्षा योजना पर चर्चा करती हैं। मातृ वंदना योजना के तहत पहली बार गर्भवती होने वाली गर्भवती महिलाओं को पांच हजार रुपये या दो किश्तों में दिए जाते हैं। यदि वह दूसरी बार गर्भवती हुई है और अगर दूसरी बार गर्भवती होने पर उसे कोई लड़की पैदा हुई है, तो उसके खाते में छह हजार रुपये की एकमुश्त राशि जमा की जाती है। गर्भवती महिलाओं को लाभ दें क्योंकि जब गर्भवती महिलाएं होती हैं, तो सरकार उन्हें उनके रखरखाव, उनके अच्छे स्वास्थ्य, अच्छे पोषण के लिए अतिरिक्त पैसा देती है, जबकि जब दूसरी लड़की होती है, तो वह पैसा बच्चे पैदा करने पर खर्च किया जाता है।

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उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से सहनाज मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि समाज की प्रमुख समस्याओं में से एक यह है कि हर माता - पिता को शादी के समय बेटी को एक नया उपहार देना पड़ता है । दिवाली के दिन इस उपहार को लेने की परंपरा रही है जिसे दहेज कहा जाता है , घर से बाहर निकलने के समय दी जाने वाली घरेलू जरूरतों के समान , आज दहेज में अविनाशी कपड़े के कारीगर उपकरण शामिल हैं । नॉक को आसान बनाने का स्वैच्छिक प्रयास समय के साथ , दायित्व बदल गया है ।

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

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