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इस कार्यक्रम में हम जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और असमान बारिश के पैटर्न से उत्पन्न हो रहे जल संकट पर चर्चा करेंगे। "मौसम की मार, पानी की तकरार" से लेकर "धरती प्यासी, आसमान बेपरवाह" जैसे गंभीर मुद्दों पर गहराई से विचार किया जाएगा। हम समझेंगे कि कैसे सूखा और बाढ़ दोनों ही हमारे जल संसाधनों को प्रभावित कर रहे हैं, और इन समस्याओं से निपटने के लिए सामूहिक और व्यक्तिगत स्तर पर क्या समाधान हो सकते हैं। हम आपसे जानना चाहते हैं – आपके इलाक़े में पानी की क्या स्थिति है? क्या आपने कोई जल संरक्षण के उपाय अपनाए हैं? या आप इस दिशा में कोई क़दम उठाने की सोच रहे हैं?
उत्तरप्रदेश राज्य के झाँसी जिला से रवि सेन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बजरंग नगर निवासी ममता देवी से बातचीत किया। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उनके मोहल्ले में गन्दगी से परेशान है स्थानीय निवासी। इतनी गन्दगी फैली है कि लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है , लोग बीमार पड़ रहे है।
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साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?
आज पूरे देश में गंगा दशहरा मनाया जा रहा है।गंगा के पावन जल में श्रद्धालु स्नान कर रहे है। आज दूर दूर से श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आ रहे है। लेकिन वही पवित्र गंगा प्रदूषित है।
उत्तरप्रदेश राज्य के झाँसी जिला से विकेश प्रजापति ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि म सभी जानते हैं कि बदलते मौसम से लोग परेशान हैं, लेकिन लोगों ने अपनी समस्याएं बढ़ा दी हैं। न केवल पूरा बुंदेलखंड पीड़ित है, बल्कि पूरा देश गर्मी से पीड़ित है और कई जगहों पर आग लगने की कई घटनाएं हुई हैं और कई लोगों की जान भी गई है। जिन मजबूर परिवारों को अपनी आजीविका कमाने के लिए पूरे दिन घर से बाहर रहना पड़ता है और धाम में काम करना पड़ता है तो वे ऐसा करने के लिए मजबूर होंगे। जलवायु को प्रदूषित होने से बचाने के लिए, इस पर्यावरण को बिगड़ने से बचाने के लिए, हम आने वाली पीढ़ियों के लिए कुछ कर सकें ताकि हम जैसा अनुभव कर रहे हैं वैसा न हो।
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दीपावली दियों से या धमाकों से? अबकि दीवाली पर हमें यह सोचना ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शहरों की हवा हमारे इस उत्साह को शायद और नहीं झेल पा रही है। हवा इतनी खराब है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। भारत की राजधानी दिल्ली इस मामले में कुछ ज्यादा बदनाम है। दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित जगहों में शामिल दिल्ली में प्रदूषण इतना अधिक है कि लोगों का रहना भी यहां दूभर हो रहा है।