महिलाओं की लगातार बढ़ती हिस्सेदारी और उसके सहारे में परिवारों के आर्थिक हालात सुधारने की तमाम कहानियां हैं जो अलग-अलग संस्थानों में लिखी गई हैं, अब समय की मांग है कि महिलाओं को इस योजना से जोड़ने के लिए इसमें नए कामों को शामिल किया जाए जिससे की ज्यादातर महिलाएं इसका लाभ ले सकें। दोस्तों आपको क्या लगता है कि मनरेगा के जरिए महिलाओँ के जीवन में क्या बदलाव आए हैं। क्या आपको भी लगता है कि और अधिक महिलाओं को इस योजना से जोड़ा जाना चाहिए ?

मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

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क्या की मांगवाला जी सत नहीं बोलो ये बोला चा हरि पैसल का रूप डिट्टा है तो बोहोत की क्या दिताई सरखा चल लिया आ था किसि निवासी मनुकुमा ।

पूरा हैलो बोला जा साम मेरी पेंशन नहीं मत रहे है नाम क्या है तुम्हारा नार्वज सिंह कहाँ रहने हो कुलवा कुलवा का देख कहता है , पेंशन सचिव खुद इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं थे ।

सरकार का दावा है कि वह 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन दे रही है, और उसको अगले पांच साल तक दिये जाने की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में यह भी दावा किया कि उनकी सरकार की नीतियों के कारण देश के आम लोगों की औसत आय में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इस दौरान वित्त मंत्री यह बताना भूल गईं की इस दौरान आम जरूरत की वस्तुओं की कीमतों में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है।

उत्तरप्रदेश राज्य के झाँसी जिले की रानी देवी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की उनको को नही मिली है विधवा पेंशन

उत्तरप्रदेश राज्य के झाँसी ज़िला के गुरसराई के जसवंतपुरा से संजय कुमार ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि इन्होने इनकी माता के वृद्धा पेंशन के लिए मई माह में आवेदन दिया था लेकिन अब तक इनकी माता को वृद्धा पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है

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