मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

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आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे अपने श्रोताओं की राय

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम जानेंगे एसएचजी यानि की स्वयं सहायता समुह से जुड़ने के क्या फायदे हैं और इससे जुड़ कर कैसे आप अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं।

मैं गंगाड़ ग्राम पंचायत की माया पाथेती हूँ , जो इंदौर जिले के मोंग से भी हूँ । मेरे पति की मृत्यु हो चुकी है । मेरा एक बेटा और एक बेटी है । मेरा बेटा बहुत बुद्धिमान है जो सत्रह साल का है , मुझे उसका अनुसरण करना बहुत मुश्किल लगता है । मेरे पास कोई नौकरी नहीं है । मुझे पालन - पोषण में समस्या है , कृपया मेरे बेटे के लिए एक स्कूल खोजें ताकि मैं आपकी समस्या को समझ सकूं । हल किया जा सकता है यह कभी - कभी एक बटन फ़्लिप करता है क्या कम है आ जी ?

इसके बरक्स एक और सवल उठता है कि क्या सरकारें चाहती हैं कि वह लोगों का खाने-पीने और पहनने सहित सामान्य जीवन के तौर तरीकों को भी तय करें? या फिर इस व्यवसाय को एक धार्मिक समुदाय को निशाना बनाने के लिए इस तरह के आदेश जारी किये जा रहे हैं। सरकार ने इस आदेश को जारी करते हुए इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया कि उसके एक आदेश से कितने लोगों की रोजी रोटी पर असर पड़ेगा