हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

सतना चारा काटने गई 75 वर्षीय महिला को जंगली जानवर ने अपना निवाला बना लिया। घर न लौटने पर परिजन तलाश में खेत पर गए। जहां महिला मृत हालत में पड़ी मिली। इसके बाद सूचना दिए जाने पर पुलिस मौके पर पहुंची। घटना स्थल की जांच के बाद शव को पीएम के लिए मॉर्चुरी भेजा गया।

मध्यप्रदेश के सतना जिले में मझगवां रेंज में पिछले 15 दिनों में पांच बाघों को देखा गया है। एक बाघ को मझगवां आरटीओ बैरियर के पास देखा गया था, जिसने हजारा नाला के पास एक गाय का शिकार भी किया था। इसके चार दिनों बाद ही तीन बाघ वन विभाग के ट्रैप कैमरों में कैद हुए थे। जिले के मझगवां क्षेत्र के जंगल में इन दिनों बाघों की चहल कदमी देखी जा रही है। इस बीच बुधवार की रात भी एक बाघ यहां सड़क पर नजर आया, जो मोबाइल कैमरे में कैद हो गया। सतना वन मंडल के मझगवां वन परिक्षेत्र में बाघ सड़क पार करते देखा गया। मझगवां बस्ती से दो किमी दूर पवरिया बाबा आश्रम के पास रात लगभग आठ बजकर 25 मिनट पर बाघ सड़क पार कर रहा था। इस दौरान एक कार सवार ने उसे मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया। हालांकि बाघ जल्द ही झाड़ियों में घुस कर जंगल की तरफ बढ़ गया। बाघ के मूवमेंट का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ है।बाघों का प्राकृतिक कॉरिडोर है मझगवां रेंज सतना वन मंडल की मझगवां रेंज का यह इलाका बाघों का पुराना प्राकृतिक कॉरिडोर भी माना जाता है। बरौंधा के जरिए पन्ना टाइगर रिजर्व के जंगलों से जुड़ने वाला यह क्षेत्र यूपी के रानीपुर इलाके से भी जुड़ा है। रानीपुर में वन अभयारण्य बनाए जाने को हाल ही में यूपी की योगी सरकार ने मंजूरी दी है। सरभंगा अभयारण्य बनाने की मांग सतना जिले के इस क्षेत्र में पिछले काफी समय से उठ रही है। लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण सब कुछ ठंडे बस्ते में ही पड़ा है। जबकि जानकारों की मानें तो यहां के जंगल बाघों के लिए अनुकूल हैं। इस क्षेत्र में बाघों की बढ़ती तादाद भी इसका बड़ा सबूत है।

विश्व वन्यजीव दिवस जिसे आप वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे के नाम से भी जानते है हर साल 3 मार्च को मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य है की लोग ग्रह के जीवों और वनस्पतियों को होने वाले खतरों के बारे में जागरूक हो इतना ही नहीं धरती पर वन्य जीवों की उपस्थिति की सराहना करने और वैश्विक स्तर पर जंगली जीवों और वनस्पतियों के संरक्षण के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य या दिवस मनाया जाता है.विश्व वन्यजीव दिवस के उद्देश्य को पूरा करने के लिए है हर वर्ष एक थीम निर्धारित की जाती है जिससे लोगो में इसके प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूकता को बढ़ावा मिले . हर वर्ष की तरह इस वर्ष 2024 का विश्व वन्यजीव दिवस का थीम है " लोगों और ग्रह को जोड़ना: वन्यजीव संरक्षण में डिजिटल नवाचार की खोज" है। "तो आइये इस दिवस पर हम सभी संकल्प ले और वन्यजीवों के सभी प्रजातियों और वनस्पतियों के संरक्षण में अपना योगदान दे।

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जलवायु की पुकार [श्रोताओं की सरगम] कार्यक्रम के अंतर्गत हम जानेंगे अलग अलग लोगों के योगदान के बारे में की कैसे पर्यावरण के समस्याओं का समाधान निकाला जा सके।