शौकीनों को फिर झटका लहसुन सस्ता हुआ तो जाएका गायब है

कुछ समय पहले तक प्याज के दाम भी लोगों के आंसू निकाल रही थी, लेकिन बीते दो महीने में इसकी कीमतों में बड़ी गिरावट हुई है। दो महीने में प्याज के दाम 75 फीसदी तक कम हो चुके हैं। लेकिन अब लहसुन कीमतें आसमान पर हैं। सर्दियों का मौसम और खाने में लहसुन का तड़का, जिससे स्वाद बन जाता है। आयुर्वेद में इसे बहुत ही गुणकारी बताया गया है। हृदय रोगों जोड़ो में दर्द आदि कई सारे रोगों के इलाज में इसका इसका उपयोग किया जाता है। लेकिन फिलहाल अब ये हर किसी के बस में नहीं रह गया है। दरअसल, देश में अन्य सब्जियों जैसे आलू-प्याज के दाम  भले ही कम हुए हैं, लेकिन सब्जी में तड़का लगाने वाला लहसुन अब महंगा हो गया है। देश के बड़े शहरों से लगायत गांव कस्बों में भी लहसुन के दाम बेतहाशा बढ़ चुके हैं। देश में लहसुन की कीमत में ये ताबड़तोड़ तेजी महज 15 दिनों के भीतर ही देखने को मिली है। इस दौरान 200 रुपये प्रति किलो बिकने वाले लहसुन का भाव 300 रुपये से ज्यादा बढ़कर 500 रुपये के पार निकल चुका है। लगन और मांगलिक आयोजनों का मौसम चल रहा है, जिसमें मसाले में लहसून की डिमांड बाजारों में बढ़ गई है। वहीं हफ्तेभर पहले ही ये 300 रुपये प्रति किलो बिक रहा था। रिपोर्ट्स की मानें तो शहरों में जो लहसुन 15 दिन पहले 200-220 रुपये के भाव पर बिक रहा था, वही लहसुन अब फुटकर बाजारों में 500 रुपये किलो के भाव में मिल रहा है। हर तरफ से लहसुन के भाव में उछाल रिपोर्ट मिल रही है। बताया जा रहा है कि लहसुन का प्रोडक्शन घटने के कारण इस साल कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। मिली जानकारी के अनुसार लहसुन का सबसे अधिक उत्पादन मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों में होता है। हालाकि देश के अन्य हिस्सों में भी लहसुन का उत्पादन होता है। कम उपज और कमजोर सप्लाई की वजह से लहसुन की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। बीते बुधवार को थोक मंडियों में लहसुन की औसत कीमत 7275 रुपये प्रति क्विंटल होने की जानकारी मिली है। वहीं इसकी अधिकतम औसत कीमत 8200 और न्यूनतम 6400 रुपये प्रति क्विंटल बताई गई है।

मुर्गे से भी महंगा बिक रहा परवल, बंगाल से शुरू हुई आवक

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उद्योगपतियों का मुनाफा बढ़ती दुनिया की गरीबी

गोरखपुर। भगतसिंह जन अधिकार यात्रा आज गोरखपुर में पहले दिन विभिन्न इलाकों से होकर गुजरी। सुबह यात्रा विश्वविद्यालय गेट से शुरू होकर छात्र संघ चौराहा, बेतियाहाता भगत सिंह चौराहा, शास्त्री चौक, टाऊन हॉल, बख़्शीपुर होते हुए उचवाँ में जनसभा के साथ समाप्त हुई। इस दौरानभारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी, दिशा छात्र संगठन, नौजवान भारत सभा और अन्य संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। यात्रा के दौरान सभा में दिशा छात्र संगठन की अंजली ने कहा कि आज जब बेरोज़गारी छात्रों - नौजवानों के जीवन को अँधेरे गर्त में धकेल रही है, जब महँगाई ने आम जनता की कमर तोड़ के रख दी है ऐसे में चुनावबाज पार्टियाँ लोगों को जाति-धर्म का पाठ पढ़ा रही है। हमें इनके ऐसे छलावों और षड्यंत्रों को समझना होगा। यह सोचना होगा कि सांप्रदायिक उन्माद के शोर के तले रोजगार और बढ़ती महंगाई के सवाल को गौण कर दिया जा रहा है। महंगाई और बेरोजगारी तो हिंदू और मुस्लिम में फ़र्क नहीं करती है। आज जब हम बात करते हैं कि देश मे 32 करोड़ युवा बेरोजगार हैं, तो इसमें हिंदू युवा भी शामिल हैं और मुस्लिम युवा भी। इसी तरह खाद्यान की बढ़ती कीमतों से चाहे हिंदू आबादी हो और मुस्लिम आबादी, दोनों ही त्रस्त हैं। आज हमें अपने शहीदों; अशफ़ाक़ बिस्मिल की विरासत को याद करते हुए, वर्ग के आधार पर एकजुट होते हुए, अपने असली दुश्मन को पहचानना होगा। भगत सिंह जन अधिकार यात्रा इसी बात को लेकर देश भर के अलग अलग हिस्सों में जा रही है। इस यात्रा का उद्देश्य है कि लोगों को उनके असली मुद्दे, सबके लिए, रोजगार, शिक्षा, आवास और स्वास्थ्य सेवा की मांग पर एकजुट किया जाए।

400 की रामचरितमानस 699 की, पांच की हनुमान चालीसा 180 रुपये में

खजनी गोरखपुर।। त्योहार के कारण फुटकर बाजारों में हरी सब्जियों के दाम एक बार फिर बेलगाम हो गए, और बाजारों में सब्जियां मंहगे दामों में बिकीं। मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर क्षेत्र के फुटकर बाजारों में हरी सब्जियों के दामों में खासी तेजी देखी गई। सब्जियां दो गुने भाव में बेची गई। मकर संक्रांति पर्व को खिचड़ी खाने की परंपरा है और इस अवसर पर लोग पितृ, पुरोहितों और देवी देवताओं को श्रद्धा पूर्वक दान भी करते हैं। पर्व के कारण सभी परिवारों में खिचड़ी खाने और दान पुण्य करने की सदियों पुरानी परंपरा है। ऐसे में आम लोगों की जरूरतों को उनकी मजबूरी बना कर थोक और फुटकर बाजारों में सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे। कल तक बाजारों में 25 से 30 रूपए प्रति किलो बिकने वाली हरी मटर 50 और 60 रूपए प्रति किलो के भाव से बिकी, वहीं 10 रूपए प्रति किलो बिकने वाली मूली 40 रूपए किलो टमाटर धनियां पत्ती गोभी बीन्स गाजर बंद गोभी बैंगन शिमला मिर्च पालक मेथी के साग नींबू कटहल कद्दू लौकी प्याज और अदरक सहित सभी सब्जियां अधिक मुल्य पर बिकती नजर आईं। त्योहार के कारण फुटकर सब्जियों के बाजारों में भीड़ देखी गई। अचानक सब्जियों के बढ़े दामों से ग्राहकों में हैरत देखी गई। वहीं मूल्य पूछ कर जाने वाले ग्राहकों को सब्जियों के दुकानदार चुनौती देते हुए यह कहते नजर आए कि जाइए हर तरफ यही भाव मिलेगा आज सब्जियां मंहगी हैं। जानकारों ने बताया कि त्योहार के कारण बाजार में मांग बढ़ जाती है। इसलिए थोक और फुटकर बाजारों में दुकानदार जानबूझकर साजिश के तहत अधिक मुनाफा कमाने के लिए मूल्य बढ़ा देते हैं। बाजारों में अचानक मांग बढ़ने पर दाम बढ़ने से पुराना माल और खराब होने वाली सब्जियों से भी मुनाफा कमाने का मौका मिल जाता है।

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