हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।

सदर प्रखंड अंतर्गत हरदी पश्चिम चौघारा पंचायत के मोतीलाल-कुसुमलता उच्च माध्यमिक विद्यालय परिसर में शिक्षा संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी विवेकानंद सत्यार्थी, डीपीओ स्थापना राहुल चंद्र चौधरी व मत्स्य प्रसार पदाधिकारी दुर्गेश कुमार मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत गीत के साथ की गई। कार्यक्रम में अभिभावक व स्कूली छात्रों से संवाद किया गया। साथ ही डीपीओ द्वारा छात्रों के लिए सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी छात्रों एवं अभिभावकों को दी गई। पोशाक योजना, छात्रवृत्ति योजना, कन्या उत्थान योजना, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी विस्तृत रूप से दी गई। पदाधिकारियों ने अभिभावकों से अनुरोध किया कि आप अपने बच्चों को रोजाना विद्यालय भेजें। कहा कि सरकार की कोशिश यही है कि बच्चे और बच्चियां पढ़े और आगे बढ़े। इस विद्यालय में कुल 715 छात्रों के संख्या है। मौके पर विद्यालय के प्राचार्य बिनोद कुमार, शिक्षक प्रमोद कुमार सूरज, मुस्तकीम आलम सहित अभिभावक एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

किशनपुर प्रखंड मुख्यालय स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा संवाद कार्यक्रम का आयोजन प्रधानाध्यापक डॉ राजीव कुमार की अध्यक्षता में किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अनुमंडल पदाधिकारी, बीईओ, बीपीआरओ मौजूद थे। जहां आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रधानाध्यापक डॉ राजीव कुमार ने विद्यालय की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि यहां के सभी बच्चों को नियमानुकूल सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। विद्यालय में उत्कृष्ट शैक्षणिक माहौल के कारण ही यहां के बच्चें विभिन्न प्रतियोगिताओं में राज्य और देश स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। गत वर्ष सर्वश्रेष्ठ प्रधानाध्यापक पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ विज्ञान प्रयोगशाला पुरस्कार, उत्कृष्ट शिक्षक, सर्वश्रेष्ठ छात्र पुरस्कार आदि से जिलाधिकारी ने सम्मानित किया। शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ता बिहार को प्रदर्शित करने वाला शिक्षा संवाद कार्यक्रम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में शिक्षा व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए की गई अच्छी पहल है। बिहार सरकार ने पढ़ेगा बिहार तो बढ़ेगा बिहार को ध्यान में रखते हुए शिक्षा के सभी आयामों पर ध्यान दिया है। सुपौल जिला अंतर्गत वर्ष 2006-07 से 2017-19 तक कुल 8128 प्रारंभिक शिक्षकों का नियोजन हुआ तथा वर्ष 2022 में 843 प्रारंभिक शिक्षक नियुक्त हुए। टीआरई 1.0 में पूरे बिहार में 1लाख 23 हजार 108 शिक्षक बीपीएससी के द्वारा बहाल हुए तथा टीआरई 2.0 में 94 हजार 52 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया गया। इसमें सुपौल जिला में टीआरई 1.0 से 2090 तथा टीआरई 2.0 से 1331 शिक्षकों को नियुक्ति किया गया है। वर्तमान समय में छात्र शिक्षक अनुपात 35:1 हो गया है। आज सरकार बिहार के बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए बजट का 18% भाग शिक्षा पर खर्च करती है।सुपौल जिला अंतर्गत सभी 174 पंचायतों में स्कूल स्थापित किए गए हैं । शैक्षणिक प्रोत्साहन के लिए सरकार ने पहल करते हुए मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना,मुख्यमंत्री बालक साइकिल योजना ,मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना,मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना, उन्नयन बिहार, मुख्यमंत्री पोशाक योजना, बिहार शताब्दी मुख्यमंत्री पोशाक योजना, मिशन दक्ष,टोला सेवक, तालिमी मरकज, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना,कुशल युवा कार्यक्रम, मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना, प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप, मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन मेधावृति योजना, बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, मुख्यमंत्री उद्यमी योजना, मुख्यमंत्री सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना आदि चलाई जा रही है। इन कार्यक्रमों के लाभों की विस्तृत जानकारी सभी बच्चों, अभिभावकों को दी गई। उच्च स्तरीय शैक्षणिक संस्थान जैसे मेडिकल कॉलेज पिपरा, पैरामेडिकल कॉलेज सुपौल, जीएनएम कॉलेज सुखपुर आदि की भी स्थापना की गई है। इस अवसर पर विद्यालय के छात्र , छात्रा, अभिभावक और शिक्षक उपस्थित थे।

विद्यालय में छात्र - छात्राओं के शैक्षणिक प्रोत्साहन के लिए सरकार द्वारा मुख्यमंत्री बालक-बालिका सायकिल योजना पोषण योजना, किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम, मेधावृति योजना आदि को प्रमुखता से लागू किया जा रहा है। इसका लाभ लेने के लिए बच्चों की उपस्थित 75 प्रतिशत अनिवार्य है। अभिभावक अपने बच्चों को योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए स्कूल भेजें।

बसंतपुर प्रखंड के रतनपुर पंचायत स्थित प्रोजेक्ट ललित नारायण उच्च विद्यालय में शिक्षा संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में आमजनों को जानकारी देने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सीओ शशि कुमार भास्कर ने शिक्षा विभाग की लोक कल्याणकारी योजनाओं के संबंध में छात्र-छात्राओं एवं अभिभावकों को जानकारी प्रदान की। इन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य से लोगों को शिक्षा विभाग सहित अन्य जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान करना है। ताकि लोग इसका लाभ उठा सके। इस मौके पर मुखिया संतोष कुमार मेहता, सुरेश चंद्र मिश्र, संजय कुमार सुमन, धीरेंद्र मिश्र,  तपेश चंद्र मिश्र, शैलेंद्र कुमार, मनोज कुमार प्रभाकर, मीरा कुमारी, मदन कुमार, मु. गरीब नवाज आदि उपस्थित थे।

लड़कियों के सपने सच में पुरे हो , इसके लिए हमें बहुत सारे समाजिक बदलाव करने की ज़रूरत है। और सबसे ज्यादा जो बदलाव की ज़रूरत है, वो है खुद की सोच को बदलने की। शिक्षा महिलाओं की स्थिति में बड़ा परिवर्तन ला सकती है लेकिन शिक्षा को लैंगिक रूप से संवेदनशील होने की जरूरत है। गरीब और वंचित समूह के बच्चों को जीवन में शिक्षा में पहले ही सीमित अवसर मिलते हैं उनमें से लड़कियों के लिए और भी कम अवसर मिलते हैं, समान अवसर तो दूर की बात है। सरकारी स्तर पर जितने ही प्रयास किये जा रहे हों, यदि हम समाज के लोग इसके लिए मुखर नहीं होंगे , तब तक ऐसी भयावह रिपोर्टों के आने का सिलसिला जारी रहेगा और सही शौचालय न होने के कारण छात्राओं को मजबूरी में स्कूल छोड़ने का दर्द सताता रहेगा। तब तक आप हमें बताएं कि *----- आपके गांव में सरकारी स्कूल में शौचालय है, और क्या उसकी स्थिति कैसी है? *----- क्या आपको भी लगता है कि सरकारी स्कूल में शौचालय नहीं होने से लड़कियों की शिक्षा से बाहर होने का बड़ा कारण है *----- शौचालय होने और ना होने से लड़कियों की शिक्षा किस प्रकार प्रभावित हो सकती है?

सरकार हर बार लड़कियों को शिक्षा में प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं लाती है, लेकिन सच्चाई यही है कि इन योजनाओं से बड़ी संख्या में लड़कियां दूर रह जाती हैं। कई बार लड़कियाँ इस प्रोत्साहन से स्कूल की दहलीज़ तक तो पहुंच जाती है लेकिन पढ़ाई पूरी कर पाना उनके लिए किसी जंग से कम नहीं होती क्योंकि लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने और पढ़ाई करने के लिए खुद अपनी ज़िम्मेदारी लेनी पड़ती है। लड़कियों के सपनों के बीच बहुत सारी मुश्किलें है जो सामाजिक- सांस्कृतिक ,आर्थिक एवं अन्य कारकों से बहुत गहरे से जुड़ा हुआ हैं . लेकिन जब हम गाँव की लड़कियों और साथ ही, जब जातिगत विश्लेषण करेंगें तो ग्रामीण क्षेत्रों की दलित-मज़दूर परिवारों से आने वाली लड़कियों की भागीदारी न के बराबर पाएंगे। तब तक आप हमें बताइए कि * -------आपके गाँव में या समाज में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति क्या है ? * -------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने की होड़ बाकी है ? * -------साथ ही लड़कियाँ को आगे पढ़ाने और उन्हें बढ़ाने को लेकर हमे किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ?

छात्रों में संध्या पढ़ाई के प्रति रुचि घटने से पढ़ाई पूरी करने में परेशानी

दोस्तों, भारत के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट से यह पता चला कि वर्तमान में भारत के करीब 6.57 प्रतिशत गांवों में ही वरिष्ठ माध्यमिक कक्षा 11वीं और 12वीं यानी हायर एजुकेशन के लिए स्कूल हैं। देश के केवल 11 प्रतिशत गांवों में ही 9वीं और 10वीं की पढ़ाई के लिए हाई स्कूल हैं। यदि राज्यवार देखें तो आज भी देश के करीब 10 राज्य ऐसे हैं जहां 15 प्रतिशत से अधिक गांवों में कोई स्कूल नहीं है। शिक्षा में समानता का अधिकार बताने वाले देश के आंकड़े वास्तव में कुछ और ही बयान करते हैं और जहां एक तरफ शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति समाज की प्रगति का संकेत देती है, वहीं लड़कियों की लड़कों तुलना में कम संख्या हमारे समाज पर प्रश्न चिह्न भी लगाती है? वासतव में शायद आजाद देश की नारी शिक्षा के लिए अभी भी पूरी तरह से आजाद नहीं है। तब तक आप हमें बताइए कि * ------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने लाइन में खड़ी है ? * ------आपके हिसाब से लड़कियाँ की शिक्षा क्यों नहीं ले पा रहीं है ? लड़कियों की शिक्षा क्यों ज़रूरी है ? * ------साथ ही लड़कियाँ की शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है ?

दोस्तों , MDM या मध्याह्न भोजन योजना को दुनिया का सबसे बड़ा स्कूल फीडिंग प्रोग्राम माना जाता है। इस योजना के तहत प्राथमिक स्तर पर प्रत्येक बच्चे के लिए 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन और उच्च प्राथमिक स्तर पर 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन वाला मध्याह्न भोजन दिया जाता है। लेकिन ये तो सरकार के वेबसाइट और कार्यक्रम में सुनने में अच्छा लगता है। आज भी कई जगहों पर हकीकत कुछ और ही है। हमारे समाज में वैसे सामाजिक संस्कार पल बढ़ रहे हैं जिनका सही तरह के सवाल पूछने से कोई लेना देना नहीं हो रहा है। हमारे समाज का लोकतंत्र ऐसी बेकार की बातों से सड़ रहा है। लोगों में नागरिकता का एहसास पैदा नहीं किया जा रहा है। उन्हें नहीं बताया जा रहा है कि वह तभी ठीक ढंग से जी पायेंगे जब वह सरकार और प्रशासन से सही तरह के सवाल पूछेंगे। केवल एक दिन नहीं हर दिन पूछेंगे। तभी गंगा साफ़ हो पाएगी और स्कूलों के मिड डे मील में धाँधली नहीं होगी। तभी दूध की जगह पानी और रोटी के साथ नमक नहीं मिलेगा। आप हमें बताइए कि *--------- आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन की स्थिति क्या है ? *--------- आपने क्षेत्र या गाँव के सरकारी स्कूलों में बच्चों को कैसा पौष्टिक खाना मिलता है है ? *---------- साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।